रेप जैसे गंभीर मामले पर आपने कई नेताओं को घटिया बयानबाज़ी करते देखा होगा। इसी सिलसिले को आगे बढ़ाया है यूपी के वरिष्ठ मंत्री आज़म खान ने। दरअसल एक रेप पीड़ित महिला आज़म खान के पास न्याय की दरकार लेकर पहुंची थी, लेकिन उसे क्या पता था कि मंत्री जी की मानसिकता तो सही और गलत में फैसला करना तक नहीं जानती। आज़म खान ने महिला को ऐसा भद्दा दिलासा दिया है कि यह महिला अब कभी किसी मंत्री के पास मदद मांगने नहीं जाएगी।
महिला के मदद मांगने पर मंत्री ने कहा कि मैं पूरी वजह नहीं जान सका। जिस बहन ने अभी हो-हल्ला किया है, लेकिन यह अंदाज़ा लगा लिया है कि ज़रूर कोई गंभीर बात है… हम उनका मेमोरेंडम लेकर जाएंगे, लेकिन उन्होंने अच्छी-खासी शोहरत पा ली है… यह भी मालूम है कि शिकायत है, बड़ी बदनामी की शिकायत है… अगर बदनामी को इतनी शोहरत देगी, तो ज़माने को शक्ल कैसे दिखाएगी…?
मतलब कि उसके साथ गलत हुआ है, अब वह यह बात किसी को बताए भी नहीं। रेप करने वाले को शर्म नहीं आई, मगर जिसके साथ यह अन्याय हुआ है उसे चुप रहना चाहिए, नहीं तो वह ज़माने का सामना कैसे करेगी।
इस पूरी घटना के बाद विपक्ष ने आज़म खान की कड़ी आलोचना की है। बीजेपी ने सवाल करते हुए कहा कि राज्य के एक सीनियर मंत्री इस तरह का बयान देकर पूरे देश को कैसा संदेश देना चाहते हैं। कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि जो रेप पीड़ित हैं उनके साथ सिर्फ सरकार को ही नहीं, बल्कि पूरे समाज को खड़ा होना चाहिए। बिहार में हाल ही में फिर सत्ता में पहुंची आरजेडी के प्रवक्ता मनोज झा ने कहा कि यह घोर असंवेदनशील टिप्पणी है। महिला आयोग की पूर्व सदस्य शमीना शफीक ने हैरानी जताते हुए कहा, “ये नेता इस तरह के वाहियात बयान देकर अपनी शक्ल कैसे दिखाते हैं…?”
जिस औरत के साथ रेप होता है वह वैसे ही अंदर से टूट चुकी होती है। समाज को चाहिए की ऐसे घृणित काम को अंजाम देने वाले व्यक्ति को सख्त सजा सुनाई जाए जबकि देखा यह जाता है कि समाज पीड़िता पर ही ऊंगली उठाता है।