एक मां अपने बच्चे को नौ महीने अपनी कोख में पालती हैं, फिर लेबर पेन का दर्द सहकर, बच्चे को जन्म देती है। लेकिन इस बच्चे को पाने के लिए इस बाप ने डेढ़ साल का लेबर पेन सहा। दरअसल यह कहानी आदित्य तिवारी नाम के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर और उनके बेटे बिन्नी की है।
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जिस उम्र में लड़के अपनी चीजों को सही ढंग से नहीं संभाल पाते, उस उम्र में आदित्य ने एक बच्चे की जिम्मेदारी उठाई । दरअसल बिन्नी एक स्पेशल चाइल्ड है, उसके दिल में छिद्र है, इसे डाउन सिंड्रोम के नाम से जाना जाता है। बिन्नी को जन्म देने के बाद, उसकी मां ने अनाथ आश्रम में छोड़ दिया, क्योंकि वह बिन्नी के इलाज का खर्च नहीं उठा पा रही थी।
अपने पापा के जन्मदिन के दिन आदित्य उनके साथ उसी अनाथ आश्रम गए जहां पर बिन्नी को छोड़ा गया था। वहां पर आदित्य ने एक कोने में एक बच्चे को चुपचाप बैठा पाया, वह उसके पास गए और उसे गोद में उठा लिया। बिन्नी को गोद में उठाते ही उन्होंने उसे अपना बेटा मान लिया।
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आदित्य ने बिन्नी को गोद लेते समय लोगों की भी काफी बाते सुनी। कई लोगों ने यह कहा कि नपुंसक होगा, तभी बच्चा गोद ले रहा है, तो किसी ने यह तक कह डाला कि नाटक कर रहा है, इसी का बच्चा होगा। लेकिन इस दौरान आदित्य ने सिर्फ अपने मन की सुनी और बिन्नी को गोद ले लिया।
भारतीय कानून के मुताबिक अगर आप किसी बच्चे को गोद लेना चाहते हैं, तो उसके लिए आपका शादीशुदा होना और 30 से ज्यादा की उम्र का होना जरूरी है। यही आदित्य का डेढ़ साल का लेबर पेन रहा।
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डॉक्टरों के मुताबिक आदित्य बन्नी की काफी परवाह और ख्याल रखते हैं, तभी उसकी हालत में काफी सुधार आया है। आदित्य कहते हैं कि इस स्पेशल चाइल्ड ने उन्हें काफी स्पेशल बना दिया है।