आपको सबसे पहले यह बता दें की यह योजना मध्य प्रदेश सरकार की है। इस योजना के तहत सरकार शहरी इलाकों में आबादी पट्टा बांटने का कार्य शुरू करने जा रही है। इस कार्य के लिए मध्य प्रदेश के राजस्व विभाग ने करीब 4 माह पहले सर्वे का कार्य भी पूरा कर लिया है। योजना में उन लोगों को जमीन दी जाएगी जिन्होंने नगर निगार की सरकारी जमीन पर अपना मकान बनाया हुआ है। आपको बता दें की सन 2004 में 5 ग्राम पंचायतें नगर निगम में शामिल हुई थी। उस समय यहां की जमीन काफी सस्ती थी लेकिन समय के साथ इन ग्राम पंचायतों के रिहायशी क्षेत्रों की जमीन के रेट बढे हैं।
अब चूंकि इन ग्राम पंचायतों का जुड़ाव शहरी क्षेत्र से हो गया है तो यहां की जमीनों के रेट काफी बढ़ गए हैं। इन ग्राम पंचायतों के 161 लोगो को पट्टा दिया जाना है। इन सभी लोगों में 500 से 5 हजार वर्गफीट के कब्जाधारी लोग हैं। इस समय के रेट के हिसाब से उस क्षेत्र में 5 हजार वर्गफीट की जगह का मूल्य करीब 75 लाख रुपये बैठता है। इस लोग ऐसे भी हैं। जिनको इस योजना के तहत करीब 5 हजार वर्गफीट जगह मुफ्त में मिल जाएगी। पट्टा मिलने वाले इन लोगों को सरकारी योजना के तहत किसी प्रकार की एनओसी लेने की भी जरुरत नहीं है।
पटवारियों से हुई थी गलती –
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असल में इन क्षेत्रों के लोग काफी समय पहले से सरकारी जमीन पर कब्ज़ा किये हुए थे। समय के साथ इस जमीन पर ही इन लोगों ने अपने मकान भी बना लिए। अब जब सरकार की और से इन लोगों को शहरी क्षेत्र में पट्टा दिलाने की योजना की शुरुआत की गई तो पटवारियों से इस क्षेत्र का सर्वे कराया। पटवारियों ने अपने सर्वे में कई ऐसे लोगों को छोड़ दिया। जो वाकई में असक्षम थे। जिनके पास मकान नहीं थे। अब शहरी क्षेत्र में पट्टा दिए जाने से पहले सरकार की और से एक और सर्वे कराने का आदेश हुआ है ताकी सभी लोगों को पट्टा मिल सके। इस बारे में नजूल अधिकारी गोकुल राम रावटे का कहना है की “दोबारा से सर्वे किराए जाने के आदेश दिए गए हैं लेकिन इसमें कम से कम या ज्यादा से ज्यादा सीमा को कहीं भी निर्धारित नहीं किया गया है। जिस व्यक्ति के कब्जे में जितनी भी जमीन होगी। उसको उतना ही पट्टा सरकारी योजना में मिलेगा। अब क्यों कि शहरी क्षेत्र में पट्टा मिल रहा है और वहां की जमीन महंगी है इसलिए ही एक बार फिर से सर्वे करने का आदेश दिया गया है।”