देश ने आज कितनी भी प्रगति कर ली है या फिर लोगों की मानसिकता में कितना भी बदलाव आ गया हो लेकिन तिरछी निगाहों से देखे जाने वाले ट्रांसजेंडरो को आज भी हम समाज में वो जगह नहीं दे पाते है, जो उन्हें मलनी चाहिए। उन्हें उस जुर्म की सजा मिलती है जो उन्होंने किया ही नहीं है। कोई ट्रांसजेंडर अपने इस हालात पर रो लेता है तो वहीं कोई अपने हौसलों को मजबूत कर कुछ कर दिखाने की हिम्मत करता है। हिम्मत की मिसाल देने वाली बेंगलुरु की अक्काई पद्मशाली ने कुछ ऐसा कर दिखाया है जिसे जान कर आप भी उन्हें सलाम करेंगे।
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सेक्सुयल माइनॉरिटी एक्टिविस्ट और ऑनडेड की संस्थापक अक्काई देश की प्रथम ट्रांसजेंडर है जिन्हें डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की है। अब वह सिर्फ अक्काई नहीं बल्कि डॉक्टर अक्काई के नाम से जानी जाती है। आपको बता दें कि अक्काई मर्द से औरत के जेंडर में तब्दील हुई है। उनका ये सफर इतना आसान नहीं था लेकिन कहते है ना कोशिश करने वालों की हार नहीं होती। उन्हें सफलता की सीढ़ी पर चढ़ते वक्त समाज का सामना करना पड़ा। आपको बता दें कि अक्काई को 10 वीं के बाद पढ़ाई-लिखाई को छोड़ना पड़ा था क्योंकि उसके जेंडर को लेकर भेदभाव किया जाता था। जिसके चलते उन्हें अपनी जरुरतों को पूरा करने के लिए सेक्स वर्कर का भी काम करना पड़ा था।
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इस पर अक्काई का कहना है कि अभी उनकी जिम्मेदारियां खत्म नहीं हुई है बल्कि उसकी शुरुआत हुई है। वो तमाम ट्रांसजेंडर के लिए कुछ कर दिखाना चाहती है। अक्काई पहली ट्रांसजेंडर है जिन्हें इंटरनेशनल बार एसोसिएशन में साल 2014 में जापान के टोकियो में आयोजित एक कॉन्फ्रेंस में सम्मानित किया गया था।