चाय बेच कर झोपड़ी में रह रहे बच्चों को पढ़ाता है यह शख़्स

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सरकार आज के समय में गरीबों के लिए काफी योजनाएं चला रही है और इसके अलावा कई ट्रस्ट और संस्थाएं भी गरीब लोगों के लिए काम कर रही हैं। यह सब अपनी जगह सही है पर यदि ध्यान दिया जाए ये सभी लोग जो गरीबों के लिए काम कर रहे हैं वे सभी गरीबी रेखा से ऊपर के हैं। इसलिए ही ये लोग ऐसा करने में समर्थ हैं, पर क्या कभी आपने ऐसे किसी व्यक्ति को देखा है जो स्वयं गरीब होते हुए भी बड़े स्तर पर गरीब लोगों के लिए कार्य कर रहा हो? आज हम आपको एक ऐसे ही व्यक्ति से मिलवा रहे हैं जो खुद गरीब है पर गरीब बच्चों के लिए बड़े पैमाने पर कार्य कर रहा है।

कौन है यह शख्स –

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इनका नाम है डी. प्रकाश राव और इनकी उम्र है 58 वर्ष। कटक के बक्सीबाज़ार में इनकी एक चाय की दुकान है और ये चाय की दुकान सिर्फ इनकी ही नहीं बल्कि आस-पास के सभी झुग्गी-झोपड़ी वालों के लिए एक आशा की किरण है। क्या आप जानना चाहते हैं कि ऐसा क्या खास है इस दुकान में? असल में अपनी कमाई का 50 प्रतिशत डी. प्रकाश राव इन गरीब झुग्गी वालों के बच्चों की पढ़ाई के लिए खर्च करते हैं।

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डी. प्रकाश राव का कहना है कि अधिकतर बच्चे गरीबी के कारण पढ़ नहीं पाते हैं। इसलिए हम लोगों ने उनके लिए एक स्कूल की व्यवस्था की है। इस स्कूल के बच्चों के टीचर तक को डी. प्रकाश राव ही पैसे देते हैं। बच्चों के शारीरिक विकास के लिए डी. प्रकाश राव बच्चों को दूध भी देते है। उनका मानना है की इससे बच्चे कुपोषण से बच सकेंगे और अच्छे से पढ़ाई कर सकेंगे। डी. प्रकाश राव जैसे लोगों पर हमको गर्व होना चाहिए क्योंकि शिक्षा से किसी भी देश की दशा और दिशा को बदला जा सकता है।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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