कहते है कामयाबी किसी की मोहताज नहीं होती अगर हौसले बुलंद हो तो रास्ते भी असान हो जाते हैं और इस बात को सच कर दिखाया महाराष्ट्र के उल्हासनगर में रहने वाली 26 साल की प्रांजल पाटिल ने.. जिसने बिना आंखों की रोशनी के अपने कठिन परिश्रम से वो कर दिखाया जो हर व्यक्ति के लिए एक मिसाल है…
कहते हैं कि मंजिल उन्ही को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंखो से कुछ नहीं होता हौसलों में उड़ान होती है। इन लाइनों को सच साबित करने के लिये प्राजल ने कई कठिन रास्तों से होकर गुजरना पड़ा और इन कठिनाइयों को पार करते हुये उसने पहली ही बार में (यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन) की परीक्षा पास कर ली।
773वीं ऑल इंडिया रैंकिंग के साथ प्रांजल ने आईएएस अधिकारी बनने का सपना पूरा कर लिया है। 6 साल की उम्र में प्रांजल की स्कूल के एक हादसे के दौरान आंखों की रोशनी छिन गई लेकिन पढ़ाई की लगन और मेहनत के सामने उसने अपनी इस कमजोरी को कभी पास में नहीं आने दिया और इस तरह से प्रांजल ने चंदाबाई कॉलेज से आर्ट्स में 12वीं की, जिसमें प्रांजल के 85 फीसदी अंक आए। हादसे में गई आंखों के बाद प्रांजल ने मुबंई के दादर स्थित श्रीमति कमला मेहता स्कूल में अपनी पढाई की। ये स्कूल प्रांजल जैसे खास बच्चों के लिए था। जहां पढ़ाई ब्रेल लिपि में होती थी। इसके बाद मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज में प्रांजल बीए की पढ़ाई पूरी की।
मीडिया से बातचीत के दौरान प्रांजल ने कहा कि उनके माता-पिता का उनकी सफलता में सबसे बड़ा योगदान है। प्रांजल कहती हैं कि सफलता ही आपकी कुंजी है जिसको पाने के लिये आप जितना संघर्ष करते है। वो आपकी प्रेरणा बनकर आपको उभारने का काम करती है और हर हाल में सफलता मिलते रहना जरूरी है क्योंकि तभी दुनिया आपके संघर्ष को तरजीह देती है। आपका नजरिया और ललक आपको आगे ले जाती है और हर किसी में ये क्षमता होती है कि वो एक सुंदर समाज को बना सके।