भगवान श्रीकृष्ण को आप जानते ही हैं, पर क्या आप उस स्थान के विषय में जानते हैं जहां श्रीकृष्ण ने महज 64 दिन में ही अपनी सारी शिक्षा को पूरा कर लिया था? यदि नहीं, तो आज हम आपको उस स्थान के बारे में ही आपको जानकारी दे रहें हैं। आपको हम बता दें कि श्रीकृष्ण ने विश्व के सबसे पुराने नगरों में से एक उज्जयिनी नगर या अवंतिका (उज्जैन) में ही अपनी पढ़ाई को पूरा किया था। यही के ऋषि सांदीपनि आश्रम में श्रीकृष्ण उस सारे ज्ञान को आत्मसात किया था जो उन्होंने महाभारत युद्ध के मैदान के बीच खड़े होकर अर्जुन को गीता के रूप में दिया था।
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आज से करीब 5 हजार वर्ष पूर्व श्रीकृष्ण ने जो शिक्षा और ज्ञान महर्षि सांदीपनि के आश्रम में पाया था वहीं बाद में गीता ज्ञान के रूप में सभी के सामने आया। इस आश्रम में भगवान श्रीकृष्ण के साथ उनके बड़े भाई बलराम तथा मित्र सुदामा भी पढ़ते थे। आपको बता दें कि महर्षि सांदीपनि के इस गुरुकुल में उस समय 64 कलाओं के साथ साथ 14 विद्याओं का अध्ययन भी कराया जाता था। ब्राह्म पुराण, भागवत तथा हरिवंश पुराण आदि में यह बताया गया है कि श्रीकृष्ण महर्षि सांदीपनि के गुरुकुल में महज 12 वर्ष की अवस्था में विद्या प्राप्त करने के लिए गए थे और उन्होंने अपने बड़े भाई बलराम के साथ यहां पर महज 64 दिन में ही सभी विद्याएं सीख ली थी।
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इस प्रकार से महर्षि सांदीपनि के आश्रम में श्रीकृष्ण महज 64 दिन ही रुके थे। आपको हम बता दें कि ऋषि सांदीपनि कश्यप गोत्र में जन्में ब्राह्मण थे और वेद, शास्त्र, कलाओं तथा आध्यात्मिक ज्ञान से परिपूर्ण थे। वे अपने शिष्यों से बहुत प्रेम रखते थे और उनके गुरुकुल में सभी विधाएं सिखाई जाती थी। सांदीपनि आश्रम में आपको गोमती कुंड नामक स्थान भी देखने को मिलता है। इस स्थान पर श्रीकृष्ण ने अपने अंक को रख कर धोया था इसलिए इसको “अंकतीर्थ” भी कहा जाता है। इसी आश्रम में श्री सर्वेश्वर महादेव मंदिर भी स्थित है। कहा जाता है कि इसके शिवलिंग को महर्षि सांदीपनि ने चांदी के बिल्व पत्र से पैदा किया था।