रियो ओलंपिक में भाग लेने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे पहलवान सुशील कुमार को हाईकोर्ट से अभी तक छुटकारा नहीं मिला है। कोर्ट ने कहा कि वह फेडरेशन के फैसले में दखल नहीं देगा। कोर्ट का यह फैसला सुनकर सुशील के वकील ने कोर्ट से याचिका वापस लेने की मांग की, लेकिन कोर्ट ने यह कहकर याचिका वापस नहीं ली कि अब आर्डर साइन हो चुका है।
कोर्ट ने कहा कि सुशील कुमार एक महान खिलाड़ी हैं। इस बात में कोई संदेह नहीं है, लेकिन रेसलिंग फेडरेशन के इस बात को भी खारिज नहीं किया जा सकता है कि नरसिंह यादव बेहतर फॉर्म में हैं और उन्हें ओलंपिक में भेजने का फैसला सही है।
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बता दें कि सुशील कुमार ने यह याचिका दी थी कि फेडरेशन द्वारा चुने गए नरसिंह यादव को ओलंपिक में भेजने से पहले दोनों का मुकाबला कराया जाए। सुशील कुमार ने यहां तक कहा कि भेदभाव के कारण नरसिंह का नाम चुना गया है।
कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जताई कि जिस समय खेल पर ध्यान देना चाहिए था, उस समय फेडरेशन और खिलाड़ियों की राजनीति को कोर्ट में घसीटा क्यों जा रहा है? वहीं सुशील के वकील ने इस बात को सामने रखा कि सुशील ओलंपिक में जाने के काबिल हैं और सुशील ही एक ऐसे रेसलर हैं जिन्होंने भारत की तरफ से गोल्ड मेडल जीता है, लेकिन नरसिंह के पास ऐसा कोई अनुभव नहीं है। ऐसे में अगर नरसिंह को ओलंपिक में भेजा गया तो जीत हासिल होना मुश्किल हो जाएगा।
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वहीं रेसलिंग फेडरेशन का कहना है कि साल 2015 में सुशील कुमार ने किसी ट्रायल में भाग नहीं लिया और सुशील से बेहतर तैयारी नरसिंह यादव की है। ऐसे में नरसिंह को ही रियो ओलंपिक में भेजा जाना चाहिए क्योंकि वह सितंबर 2015 से इसकी तैयारी भी कर रहे हैं।