सपना ‘डॉक्टर’ बनने का, लेकिन बन गई ‘आईपीएस’ गरिमा सिंह, जानिए क्यों…

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हर इंसान की जिंदगी में कभी ना कभी ऐसे वाकये हो जाते हैं जो इंसान की जिंदगी और उसके मकसदों को पलट कर रख देते हैं। आज हम आपको ऐसे ही वाकये से जुड़ी एक 25 साल की महिला आईपीएस की कहानी बताने जा रहे हैं जो आपके दिल को छू लेगी। इस महिला आईपीएस का नाम है गरिमा सिंह और उम्र महज 25 साल है। यह एक छोटे से कस्बे कथौली की रहने वाली है और हाल ही में उन्हें झांसी जिले की कमान मिली है। यह उनकी पहली ही पोस्टिंग है। आज हम आपको इस महिला आईपीएस की सक्सेस की कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं कि कैसे एक वाकये ने इनको आईपीएस बना दिया।

garima-singh1_1461669888Image Source :http://i9.dainikbhaskar.com/

आईपीएस गरिमा ने अपनी कहानी को सबके सबके साथ साझा करते हुए बताया कि ये उन दिनों की बात है जब वह दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ती थीं। गरिमा ने कहा कि ‘डीयू में पढ़ाई के दौरान एक दिन वह अपने दोस्तों के साथ रात में मॉल से हॉस्टल लौट रही थीं। तब चेकिंग के लिए पुलिसवालों ने उनका रिक्शा रोक लिया था। उसके बाद कहां से आ रही हो, कहां जाना है ऐसे सवाल करने के बाद वो हमसे 100 रुपये की मांग करने लगे और जब हमने मना किया तो वह मेरे पापा को फोन कर रात में घूमने की शिकायत करने की धमकी देने लगा। जिसके बाद पुलिस से उनकी काफी बहस हुई। हालांकि उनको वहां से पुलिस वाले ने जाने दिया।’ गरिमा ने बताया कि इसके बाद से उसके मन में पुलिस के लिए नफरत ही भर गई थी।

जैसा कि हम आपको बता चुके हैं कि आईपीएस गरिमा सिंह झांसी में हैं और वहां की सुरक्षा व्यवस्था को देख रही हैं, लेकिन उन्होंने कभी आईपीएस बनने के बारे में सोचा भी नहीं था। उनका सपना तो डॉक्टर बनने का था, लेकिन उन्होंने अपने पापा के कहने पर सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू की। उनके पिता इंजीनियर हैं और वह उनको आईपीएस के रूप में देखना चाहते थे। गरिमा ने डीयू के सेंट स्टीफन कॉलेज से बीए के बाद एमएम की पढ़ाई इतिहास से की है। उन्होंने साल 2012 में सिविल सर्विसेज का एग्जाम दिया था और एक ही बार में उनका सेलेक्शन आईपीएस में हो गया।

ऐसे में आप जरूर सोच रहे होंगे कि गरिमा तो पुलिस ने नफरत करती थीं, फिर आईपीएस की राह कैसे चुनी। दरअसल गरिमा का नजरिया एक वाकये ने बदल दिया। जिसके बाद उनकी ये नफरत खत्म हो गई और उन्होंने सिविल सर्विसेज की परिक्षा देने का मन बनाया। उन्होंने बताया कि ‘एक बार डीयू में मेरा फोन गायब हो गया था। मैंने इसकी शिकायत पुलिस में की। पुलिस ने जिस तेजी से एक्शन लेते हुए मेरा फोन खोज निकाला, उसने मेरा नजरिया पुलिस के प्रति बदल दिया।’

garima-singh_1461669885Image Source :http://i9.dainikbhaskar.com/

बता दें कि गरिमा करीबन 2 साल तक लखनऊ में अंडरट्रेनिंग एएसपी के तौरा पर रही हैं। वह काफी शिष्ट तरीके से लोगों की परेशानियों को सुनने के साथ उनका हल करती हैं। उन्होंने 1090 जो कि एक महिला हेल्पलाइन नंबर है, उसको स्थापित करने में भी अपना काफी योगदान दिया है। गरिमा ने बताया कि वह अपने दिन की शुरूआत अच्छे विचारों के साथ करती हैं। वह रोज एक साकारात्मक विचार अपनी टेबल पर पर्ची में लिखती हैं और उन्हीं को पढ़ने के बाद अपने दिन की शुरूआत करती हैं।

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