अर्जुन बाजपेयी, वो नाम जिसने अपने बुलंद हौंसले के दम पर सबसे कम उम्र में देश की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर चढ़कर अपना नाम विश्व रिकॉर्ड में दर्ज करा लिया। अब अपनी मंजिल के दूसरे पड़ाव को हासिल करने के लिये अर्जुन बाजपेयी काठमांडू की ओर पहुंच चुके हैं। इनका अगला लक्ष्य काठमांडू स्थित माउंट मकालू की चोटी पर चढ़ना है।
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बता दें कि यह दुनिया की पांचवीं सबसे ऊंची चोटियों में से एक है। जिसकी ऊंचाई 8485 मीटर (27,838 फीट) है। अद्भुत साहस और हिम्मत से भरे हुए अर्जुन वाजपेयी के साथ 8 लोगों की टीम ने भी पर्वतारोहण करने की ठानी है। जिसमें वह केवल अकेले भारतीय हैं।
नोएडा के रहने वाले अर्जुन बाजपेयी इस ऊंची चोटी को पार करने के लिये इससे पहले भी कई बार प्रयास कर चुके हैं। सन् 2013-14 और 2015 में उन्होंने लगातार तीन साल माउंट मकालू की चढ़ाई पर चढ़ने के प्रयास किया पर तीनों बार नाकाम रहे। खराब मौसम और तकनीकि खराबी के कारण वो अपनी टीम के साथ वापस कैंप पर आने को विवश हुए।
माउंट एवरेस्ट पर लहराया था तिरंगा-
बता दें कि अर्जुन वाजपेयी माउंट एवरेस्ट को फतह करने वाले सबसे कम उम्र के भारतीय हैं। उन्होंने 21 मई 2011 को यह उपलब्धि हासिल की थी। उस वक्त उनकी उम्र करीब 17 साल थी। इससे पहले वे माउंट ल्होत्से पर पहुंचने वाले सबसे कम उम्र के पर्वतारोही भी बने। ल्होत्से 8,516 मीटर ऊंची तथा दुनिया की चौथी सबसे ऊंची चोटी है।
अब अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिये वो करीब पांच साल के लंबे इंतजार के बाद मकालू पर फतह पाने के लिए निकल गए हैं। मकालू की चढ़ाई वहां के मौसम और उतार-चढ़ाव में कठिनाई आने के कारण काफी खतरनाक होती है। जिस पर चढ़ना जान जोखिम में डालने के बराबर ही साबित होता है पर अपने बुलंद हौंसले के साथ अर्जुन वाजपेयी अपने साथियों की ताकत बन इस सफर के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुके हैं।
मुख्यमंत्री राहत कोष से मिला 30 लाख रुपये का अनुदान
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अर्जुन के इस बुलंद हौंसले को देखते हुये प्रदेश सरकार भी अपने आप को गौरवान्वित सा महसूस कर रही है। जिसके लिये वहां के जिलाधिकारी एनपी सिंह ने मुख्यमंत्री राहत कोष से उन्हें 30 लाख रुपये की अनुदान राशि दी है। जिला अधिकारी एनपी सिंह ने अर्जुन वाजपेयी को राष्ट्रीय ध्वज के साथ नोएडा के सेक्टर-27 डीएम कैंप पर बीते बुधवार को 30 लाख रुपये का चेक सौंपा।