देश की बेटियों को बचाने और उनकी सुरक्षा, शिक्षा को लेकर चलाई गई ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ योजना, जिसे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 22 जनवरी को पानीपत की धरती से काफी बुलंद आवाज में जोर शोर से एक जिम्मेदारी की तरह शुरू किया था। साथ ही लोगों को बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ की शपथ भी दिलाई थी कि वह बेटा बेटी को एक समान मानें। इस दौरान हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी मौजूद थे जिन्होंने पीएम मोदी की इस योजना का सबसे ज्यादा समर्थन किया, लेकिन अगर आज हम ये कहें कि सीएम साहब अपने वादों की हकीकत को सबसे पहले आप अपने राज्य में ही देख लीजिए कि आपके राज्य में बेटियों के साथ ये क्या हो रहा है।
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हरियाणा के रेवाड़ी के 2 गांवों की करीब 50 छात्राओं ने स्कूल जाना छोड़ दिया है। जिसका कारण जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे। ये बेटियां पढ़ना चाहती हैं, लेकिन छेड़छाड़ से तंग आई सूमो गांव और कतोपुरी की ये बेटियां अब स्कूल नहीं जा पा रही हैं। उनका स्कूल उनके गांव के पास लाला गांव में है। जहां पर कुछ दिन पहले एक छात्रा के साथ गैंगरेप का भी मामला सामने आया था। जिसके बाद उसके आरोपी तो सलाखों के पीछे पहुंच गए, लेकिन इन छात्राओं के साथ छेड़छाड़ का सिलसिला जारी रहा। वहीं इतना बड़ा मामला सामने आने के बाद भी हरियाणा सरकार का शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन मौन बैठा है। उन्होंने छात्राओं की सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया। जिसके बाद थक हारकर इन बेटियों ने अपना नाम ही स्कूल से कटवा लिया।
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इस मामले के सामने आने के करीब एक पखवारे बाद गांव में पंचायत भी बुलाई गई थी। लाला गांव का सामाजिक बहिष्कार भी कर दिया गया, लेकिन पंचायत ने इन छात्राओं का समर्थन करने की बजाए गांव के ही कुछ युवकों द्वारा उन्हें पढ़ाए जाने का फैसला सुनाया। जिसके बाद अपने बेटियों को आगे पढ़ाने के लिए दोनों गांवों के लोगों ने डीसी यश गर्ग से मुलाकात भी की और उन्हें अपनी समस्याओं को लेकर ज्ञापन सौंपा। जिसके बाद उन्हें अभी तक दोनों गांवों में स्कूल बनवाने की मांग को लेकर सिर्फ आश्वासन ही दिया गया है।