तमिलनाडु के तूतिकोरिन तट पर अचानक भारी संख्या में व्हेल मछलियों के दम तोड़ने का वाकया सामने आया है। एक साथ भारी संख्या में इतनी व्हेल मछलियों के मारे जाने की घटना से स्थानीय लोगों सहित समुद्री शोध संस्थान भी परेशान हो गया। इन व्हेल मछलियों के तट पर आने के कारणों का पता लगाया जा रहा है। इन व्हेल मछलियों के मारे जाने की खबर की पुष्टि सुगंधि देवदासन समुद्री शोध संस्थान के निदेशक डॉ. पैटरसन एडवर्ड ने कर दी है।
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दक्षिण में तूतिकोरिन के तट पर कई व्हेल मछलियां पहुंच गई थीं। अचानक इतनी बड़ी संख्या में व्हेल के तट पर आने से सभी परेशान हो गए। इन व्हेल मछलियों में से करीब 36 व्हेल मछलियों को बचा लिया गया, जबकि करीब 45 व्हेल मछलियों ने दम तोड़ दिया है। दम तोड़ने वाली व्हेल मछलियां अभी भी तट पर ही मौजूद हैं।
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स्थानीय लोगों ने सभी व्हेल मछलियों को वापस पानी की ओर धकेल दिया, लेकिन व्हेल वापस से तट पर ही आ गईं। जानकारों के अनुसार तट पर आने वाली व्हेलों को दोबारा पानी में धकेल देना चाहिए क्योंकि मुश्किल में फंसी व्हेल को बचाने के लिए उनकी अन्य साथी भी तट पर ही आ जाती हैं। मुश्किल होने पर व्हेल एक विशेष प्रकार के संकेत निकालती है। जिसे मनुष्य नहीं सुन सकते हैं, पर अन्य व्हेल इस सिग्नल को पहचान जाती हैं। अक्सर व्हेल तीस से चालीस के झुंड में चलती हैं और ऐसा भी हो सकता है कि एक व्हेल ने मुसीबत में होने के कारण अन्य को मदद के लिए बुलाया हो।
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इसके अलावा यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि शायद व्हेल के कान में इंफेक्शन हो गया हो, क्योंकि कान में समस्या के कारण भी उनकी पानी में रहने की क्षमता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। व्हेल अपने वजन के कारण भी दोबारा पानी में नहीं जा पाती है। पानी से बाहर रहने पर उनका शरीर गर्म हो जाता है और वह तट पर ही दम तोड़ देती हैं। कई बार व्हेल मछलियां अधिक थकान के कारण भी तट पर आ जाती हैं।