आजकल इंटरनेट का खुमार इस तरह चढ़ा हुआ है, कि हम सभी एक क्लिक में सब कुछ कर सकते हैं। मनोरंजन के लिए अब लोगों के पास मेला या रामलीला जैसे कार्यक्रम में जाने की भी जरूरत नहीं है, लेकिन आज भी कुछ लोग ऐसे हैं, जो कि इस संस्कृति और कला को संजोए हुए हैं।
इसी श्रेणी में नंद किशोर यादव और दूसरा षडप्रकाश किरन कटेंद्र का नाम भी आता है। दरअसल दोनों ही पेशे से शिक्षक है, दोनों ही मिलकर एक रामलीला मंडली चलाते हैं, इस मंडली की खासियत यह है कि इस रामलीला में केवल महिलाएं ही रामलीला के किरदार निभाती हैं। इतना ही नहीं, बल्कि यह सभी एक ही घर की बेटियां हैं।
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यह मंडली छत्तीसगढ़ के जिला बालोद की है, जहां पर टेकापार और नागा डाबरी नाम के गांव में यह परंपरा सालों से चली आ रही है। इन गांवों में रहने वाले दो परिवारों के लोग इस मंडली को चलाते हैं। बेटियों से रामलीला में अभिनय कराने के सवाल पर कटेंद्र का कहना है कि “हमारा उद्देश्य बेटियों को आगे बढ़ाना और लुप्त होती परंपरा को जीवित रखते हुए, इसके प्रति युवाओं में रुझान पैदा करना है। बाल समाज लीला मंडली के नाम से नागा डबरी में दशहरे पर रामलीला के साथ दिवाली पर प्रहलाद नाटिका का मंचन भी किया जाता है। राम का किरदार वीना और अंजू लक्ष्मण का किरदार निभाती है’
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50 साल से टेकापार चल रही इस परंपरा की डोर तीस लड़कियों ने ही संभाली हुई है। यहीं लड़कियां इस साल भी रामलीला पेश कर रही हैं। स्कूल से आने के बाद यह लड़कियां रोजाना 2 से 3 घंटों तक रामलीला का अभ्यास करती हैं। लड़कियों के घरवालों और गांव वालों ने उन लड़कियों को काफी प्रोस्ताहित किया है। ऐसे में हमें भी हमारे देश की लुप्त होती परंपराओं और संस्कृति को बचाने के लिए ऐसे कदम उठाना काफी जरूरी है, नहीं तो हमारी आने वाली पीढ़ी इन चीजों के बारे में कभी नहीं जान पाएगी।