जम्मू कश्मीर के सियाचिन सीमा पर भारत-पाक बॉर्डर की रखवाली करने वाले सेना के 10 जवानों के शहीद होने की खबर सामने आई है। इस घटना पर पीएम मोदी ने भी ट्वीट कर दुख जताया है। हालांकि बर्फीले तूफान में भी बॉर्डर की रक्षा करने के लिए डंटे रहे उन जवानों के शव का अभी तक पता नहीं लग पाया है। जिसको लेकर पाक के डीजीएमओ ने भी भारत को लापता भारतीय सेना के जवानों की तलाश में मदद करने के लिए पेशकश की है, लेकिन फिलहाल भारत ने पाक की इस पेशकश को ठुकरा दिया है।
आपको बता दें कि यह घटना सियाचिन सीमा पर एवलॉन्च के कारण हुई। पहाड़ी पर जमीं हुई हजारों टन बर्फ जब फिसल कर अचानक तेजी से गिरती है तो उसे एवलॉन्च कहते हैं। बताया जाता है कि इस एवलॉन्च की रफ्तार इतनी तेज होती है कि जो भी इसके सामने आता है वह उन सबको तबाह कर देती है। हर साल हिमालय की पहाड़ियों में हजारों लोग इस एवलॉन्च के कारण अपनी जान गंवाते हैं। इस बार बॉर्डर की रक्षा कर रहे भारतीय सेना के 10 जवान इसकी चपेट में आ गए। जम्मू कश्मीर का सियाचिन इलाका काफी दुर्गम माना जाता है। यहां दिन में तापमान-25 डिग्री सेल्सियस होता है तो वहीं रात का तापमान – 45 डिग्री होता है। इस बेहद मुश्किल भरे मौसम में भी हमारी भारतीय सेना के जवान यहां डंटे रह कर हमारे देश की सीमाओं की रक्षा करते हैं।
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इस बार यह तूफान हिमालय के कराकोरम रेंज में साढ़े 700 वर्ग किलोमीटर फैले इलाके सियाचिन में आया है। यहां पर हड्डियों तक को गला देने वाली ठंडी हवाएं चलती हैं और चारों तरफ बस बर्फ ही बर्फ नजर आती है। मद्रास रेजिमेंट के 10 जवान यहां पर चौकी में बैठे थे। तभी 19 हजार 600 फीट की ऊंचाई से पहाड़ से गिरी बर्फ से यह चौकी तबाह हो गई। हालांकि हादसे के बाद तुरंत थल और वायु सेना ने अपना बचाव ऑपरेशन शुरू कर दिया, लेकिन खराब मौसम की वजह से इन जवानों को बचा पाना मुमकिन नहीं रहा।
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इस घटना पर पीएम मोदी ने ट्विटर के जरिए अपना दुख व्यक्त किया है। पीएम मोदी ने इन बहादुर जवानों को सलाम किया है। वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी दुख जताया है।