रक्षाबंधन – जानें इस वर्ष का शुभ मुहूर्त व इससे जुड़ी ऐतिहासिक घटनाएं

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रक्षाबंधन

 

रक्षाबंधन का त्योहार सभी लोग मिलजुल कर मनाते हैं, पर इससे जुड़ी ऐतिहासिक और पौराणिक घटनाओं को बहुत कम लोग जानते हैं। आज हम आपको इस त्योहार से जुड़ी उन घटनाओं के बारे में बता रहें हैं जिनको अधिकांश लोग नहीं जानते हैं, साथ ही इस पर्व को मनाने के इस वर्ष के शुभ मुहूर्त तथा विधि के बारे में भी हम आपको यहां जानकारी दे रहें हैं। आपको हम बता दें कि इस त्योहार का ऐतिहासिक तथा पौराणिक महत्त्व भी है। इस बात का उल्लेख इतिहास तथा पौराणिक घटनाओं में मिलता है। आज हम आपको यहां कुछ ऐसी ही ऐतिहासिक तथा पौराणिक घटनाओं के बारे में बता रहें हैं ताकि आप भी इस त्योहार के ऐतिहासिक तथा पौराणिक पक्ष को समझ सकें, तो आइए जानते हैं इन घटनाओं को।

1 – राजा बलि और देवी लक्ष्मी –

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यह पौराणिक कथा भागवत पुराण तथा विष्णु पुराण के आधार पर हम आपको बता रहें हैं। यह उस समय की घटना है जब राजा बलि को भगवान विष्णु ने हरा कर तीनों लोकों का राज्य, उनसे दान ले लिया था। इसके बाद राजा बलि ने भगवान विष्णु के साथ ही रहने के लिए उनसे आग्रह किया, तो भगवान विष्णु ने राजा बलि को वचन दे दिया और उनको अपने साथ वैकुंठ ले गए। राजा बलि और भगवान विष्णु की मित्रता देवी लक्ष्मी को नहीं भाई, इसलिए उन्होंने राजा बलि को एक रक्षा सूत्र बांध दिया और राजा बलि से वचन लिया कि वह भगवान विष्णु को अपने साथ में रहने के वचन से मुक्त कर दें। इस प्रकार से राजा बलि ने भगवान विष्णु को अपने वचन से मुक्त कर देवी लक्ष्मी को अपनी बहन के रूप में स्वीकारा था।

2 – देवी संतोषी की कथा और रक्षाबंधन –

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यह कथा देवी संतोषी की व्रत कथा में मिलती है। इसके अनुसार भगवान विष्णु के 2 पुत्र हुए जिनका नाम “शुभ तथा लाभ” था। इन दोनों ने भगवान गणेश को एक बहन देने की याचना की ताकि वें रक्षाबंधन मना सकें। इसके बाद में भगवान गणेश ने अपनी पत्नियों रिद्धि तथा सिद्धि से कहा तो उन दोनों में से एक से दिव्य ज्योति निकली, जो देवी संतोषी के रूप में अवतरित हुई। इस प्रकार से शुभ और लाभ ने देवी संतोषी को अपनी बहन बना रक्षाबंधन का त्योहार मनाया था।

3 – सिख धर्म तथा रक्षाबंधन –

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सिख धर्म के इतिहास में भी रक्षाबंधन के त्योहार से जुड़ी कुछ घटनाएं मिलती हैं। इन घटनाओं में से एक 18वीं सदी की घटना है। उस समय सिख खालसा आर्मी के अरविंद सिंह ने “राखी” नामक एक प्रथा का प्रारम्भ किया था। इस प्रथा के अनुसार अपनी फसल का कुछ भाग सिख समुदाय के लोग मुगल सेना को देते थे और बदले में मुगल सेना उन पर कभी आक्रमण नहीं करती थी। एक अन्य घटना महाराजा रणजीत सिंह के समय की मिलती है। इस घटना के अनुसार महाराजा रणजीत सिंह की पत्नी जिन्दान कौर ने नेपाल के राजा को रक्षाबंधन पर्व पर राखी बांधी थी और नेपाल के महाराज ने उसको स्वीकार किया था।

वर्ष 2017 में रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त और विधि –

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इस वर्ष यह त्योहार सावन महीने की पूर्णिमा को यानि की 7 अगस्त को मनाया जायेगा। आपको हम बता दें कि इस वर्ष पूर्णिमा 6 अगस्त को 9.58 मिनट पर प्रारंभ हो जाएगी और 7 अगस्त को 11.10 मिनट तक रहेगी। इस वर्ष का शुभ मुहूर्त 6.01 से 11.10 मिनट तक है। इस वर्ष का त्योहार मानने के लिए सभी बहनें सुबह उठकर नित्य कर्मों से मुक्त हो जाएं। इसके बाद स्नान आदि करें और नए वस्त्र पहनें। ऐसा करने के बाद अपने भाई के लिए लाई राखी को एक साफ थाली में रख लें तथा इस थाली में अक्षत, रोली, गोला तथा मिठाई भी रख लें। इतना करने के बाद में बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांध दें और उसको उसकी मनपसंद की मिठाई खिलाएं। सभी भाई इस दौरान अपनी बहनों को उपहार दें। यह भाइयों के लिए अनिवार्य होता है क्योंकि भाई द्वारा दिए हुए इन उपहारों में बहन के लिए शुभकामनाएं रहती हैं। इस प्रकार से आप शुभ समय पर यह त्योहार मनाएं। वाह गज़ब परिवार आप सभी को इस त्योहार की हार्दिक शुभकामनाएं भेंट करता है।

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