हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे की प्रतीक हैं हिन्दुओं द्वारा बनवाई गई ये मस्जिदें

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आपने अभी तक बहुत सी ऐसी घटनाएं सुनी होंगी जो कि हिन्दू या मुस्लिम लोगों के बीच किसी प्रकार के झगड़े से जुड़ी होती हैं। अपने देश में इस प्रकार के झगड़ों की लम्बी फेहरिस्त मौजूद है, पर सच्चाई का दूसरा पहलू भी है जिसको चुनिंदा लोग ही जानते हैं। इसलिए हम आज बता रहे हैं कुछ ऐसी मस्जिदों के निर्माण के बारे में जिनको हिंदुओं ने मुस्लिम लोगों के लिए निर्मित किया था ताकि वे वहां इबादत कर सकें। देखा जाए तो अपने देश में इस प्रकार के बहुत से मंदिर और मस्जिद मौजूद हैं जिनके निर्माण में हिन्दुओं और मुस्लिमों ने एक दूसरे का भरपूर साथ दिया है। इस प्रकार बनी यह इमारतें इन दोनों धर्मो में भाईचारे का प्रतीक बनी हुई हैं। आइये जानते हैं ऐसी कुछ मस्जिदों के बारे में जिनका निर्माण हिंदू लोगों ने किया था।

1- छत्रपति शिवाजी द्वारा निर्मित मस्जिद –

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बहुत कम लोग जानते हैं कि छत्रपति शिवाजी ने भी एक मस्जिद को निर्मित कराया था। इसका निर्माण उन्होंने अपनी राजधानी रायगढ़ में खुद के बनवाए जगदीश्वर मंदिर के पास कराया था। वर्तमान में भी 1 हजार से ज्यादा लोग यहां इबादत कर लेते हैं। इसके निर्माण में लाल और सफ़ेद दोनों तरह के पत्थरों को लगवाया गया था। यह मस्जिद 2 साल में बन कर पूरी हुई थी।

2- हिन्दू व्यापारी द्वारा निर्मित मस्जिद –

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सन् 2014 के दौरान एक हिंदू व्यापारी ने मुस्लिम लोगों के लिए कोझिकोड में मस्जिद का निर्माण कराया था। केरल के राजनीतिक पत्र “मुस्लिम लीग” के केरल ब्यूरो चीफ़ केके मोहम्मद मस्जिद के बारे में बताते हैं कि “बीते सालों में चीजें बदली हैं। इसी का असर है कि हिंदू मुस्लिम हिंसा के गवाह रहे इस शहर में एक हिंदू कारोबारी ने मस्जिद को दोबारा बनवाया है। जिस व्यक्ति ने नचोली मस्जिद का पुनर्निमाण कराया, वो क़तर के बड़े कारोबारी अप्रवासी भारतीय पद्मश्री सीके मेनन हैं। इस मस्जिद को फिर से बनवाने में एक करोड़ रुपए की लागत आई है और यहां 500 से ज्यादा लोग नमाज़ अदा कर सकते हैं। स्थानीय लोग सीके मेनन के प्रति आभार जताते हुए इस मस्जिद को मेनन की मस्जिद कहते हैं।”

3- गांव की हिंदू कम्यूनिटी द्वारा मस्जिद निर्माण –

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यह मस्जिद मध्यप्रदेश के भोपाल से 90 किमी दूर स्थित सीहोर जिले के बडोदिया गाडरी गांव में स्थित है। यहां के हिंदू लोगों ने यह मस्जिद चंदा इकट्ठा करके बनवाई थी। असल में यहां पर पहले कोई मस्जिद नहीं थी तो लोग खुले में ही नमाज पढ़ते थे। यह बात गांव के हिंदू लोगों को सही नहीं लगी इसलिए उन्होंने वहां के प्रधान से बात करके खुद चंदा इकट्ठा किया और इस मस्जिद को बनवाया।

4- बिसाहड़ा गांव की मस्जिद का निर्माण –

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ग्रेटर नोएडा के बिसाहड़ा गांव के एक हिंदू अफलातून शाहजी ने अपनी जमीन पर अपने पैसे से मुस्लिम लोगों के लिए ईदगाह और मस्जिद का निर्माण कराया था। गांव की वर्तमान आबादी 24 हजार है और इस क्षेत्र के बुजुर्ग ओम प्रकाश सिसौदिया पुराने समय को याद कर कहते हैं कि “एक समय था जब भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के समय ठाकुरों ने अपने घर में मुसलमानों को पनाह देकर उनकी रक्षा की थी। उनके दादा अफलातून शाह ने मुसलमानों के लिए अपनी जमीन पर खुद के खर्च से छोटी-सी मस्जिद बनवाई और ईदगाह के लिए जमीन दी। इस पर आज भी नमाज होती है।”

5- हंसिया मस्जिद –

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टिकावली गांव फरीदाबाद में स्थित है। इस गांव में मस्जिद के निर्माण के लिए यहां के हिंदू लोगों ने न सिर्फ अपनी मेहनत की कमाई से हिस्सा दिया, बल्कि इस मस्जिद के निर्माण में भी पूरा जनसहयोग किया। इस मस्जिद की नींव पंडित ओमप्रकाश ने रख कर इसके निर्माण कार्य को हरी झंडी दिखाई थी। इस मस्जिद के लिए हिंदू लोगों ने चंदे में करीब 3 लाख रूपए दिए थे। यह मस्जिद 1800 वर्ग फुट में बनी है और आज 500 से ज्यादा मुस्लिम लोग यहां नमाज अदा कर सकते हैं।

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