हम मे से कई लोग रोज़ कुछ न कुछ नया करने की सोचते हैं। लेकिन क्या करना है और क्या नहीं बस यही नहीं सोच पाते। तब हम दूसरों की राय लेते हैं, जो एक सामान्य सी बात है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आप दूसरो से कब और कितनी सलाह लेते है ? कहीं ऐसा तो नहीं कि दूसरो से सलाह लेते लेते आपने खुद सोचना छोड़ दिया है। अगर हां… तो इससे आपको दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है।
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हर छोटी-बड़ी बात के लिए दूसरों से सलाह लेना धीरे-धीरे आदत बन जाती है और हमारा दिमाग कोई भी काम दूसरों की सलाह के बिना नहीं कर पाता। आप दूसरों के विचारों को पूरी सहमती से मानने लगते हैं। फिर चाहे वह बात सही हो या गलत।
दूसरों की सलाह से मदद तो मिलती है लेकिन जब हर बार आप ऐसा करते हैं तो यह आदत आप पर हावी होने लगती है और आप अपना आत्मविश्वास पूरी तरह से खोने लगते हैं। हर काम के लिए दूसरों पर निर्भर रहने लगते हैं, ये बात परेशानियों की वजह बनती है। इस आदत से बचना चाहिए।
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दूसरों से पूछ-पूछकर काम करने की आदत के कारण लक्ष्य के प्रति हमेशा संदेह बना रहता है। यह जरूरी तो नहीं कि सामने वाला हमेशा सही ही हो। दूसरों पर अधिक विश्वास करने से आप धोके का शिकार बन सकते हैं या किसी मुसीबत में भी फंस सकते हैं। इसलिए कोशिश करें कि अपने निर्णय खुद ले। दूसरों पर आश्रित रहने से अच्छा है स्वयं पर विश्वास रखें।