ट्रेन में गमछा बांधकर सोने वालो को अब देना होगा फुल स्लीपर का किराया, रेल मंत्रालय ने शुरू की नई योजना

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गमछा

 

आपने ट्रेन में अक्सर कुछ लोगों को गमछा बांध कर सोते हुए देखा होगा। मगर अब रेल मंत्रालय की “गमछा योजना” ऐसे लोगों की जेब पर भारी पड़ सकती हैं। जैसा की आपको पता ही होगा कि अब सुरेश प्रभू के स्थान पर नए रेल मंत्री पियूष गोयल आ चुके हैं। गोयल ने अपने मंत्रालय के लिए नए तरीके की योजनाएं बनानी शुरू की हैं। इसके तहत उन्होंने “गमछा योजना” के लिए रेलवे मंत्रालय के अधिकारियों से बैठक की।

आपको बता दें कि “गमछा योजना” ऐसे लोगों के लिए शुरू की गई हैं जो ट्रेन में अपने गमछे पर लेट कर आराम से सफर का आनंद लेते हुए गंतव्य स्थान तक पहुंच जाते हैं। मंत्रालय की इस बैठक में यह बताया गया कि इस प्रकार गमछे का उपयोग करने से रेल मंत्रालय को प्रति वर्ष लाखों रूपए की हानि उठानी पड़ती है।

रेल मंत्री गोयल ने इस बैठक में अधिकारियों से इस समस्या से निपटने के लिए प्रस्ताव मांगे। जिसके बाद उनको अधिकारियों से कई ऐसे प्रस्ताव मिले जिनसे इस समस्या का समाधान हो सकता हैं।

गमछाImage Source:

रेल मंत्री को मिले एक प्रस्ताव में यह कहा गया कि जिन ट्रेनों में गमछा बांधने की ज्यादा घटनाएं घटती हैं उनमें गमछा योजना के तहत किराए पर यात्रियों को गमछा मुहैय्या कराया जाये और उनसे 10 प्रतिशत किराया अधिक लिया जाये। इससे रेलवे को आर्थिक फायदा भी मिलेगा। इस प्रस्ताव पर रेल मंत्री बोले कि रेल में तो लोगों के बिस्तर तक गायब हो जाते हैं तो क्या यह गमछा बच सकेगा। इस बात किसी अधिकारी के पास जवाब नही था।

एक दूसरे प्रस्ताव में बायो-गमछा लाने को कहा गया। इस गमछे की खूबी यह होगी कि यह गमछा यात्री सिर्फ एक ही बार प्रयोग कर सकेंगा। इस गमछे को लग्जरी ट्रेन तेजस में मोबाइल चार्जिंग की सुविधा के साथ देंने की भी बात कही गई। इस बायो गमछे का चार्ज फुल स्लीपर जितना ही रखने की सिफारिश की गई है। कहा गया हैं कि तेजस जैसी ट्रेनों में दिए जाने वाले गमछे में पॉवर बैंक की सुविधा दी जानी चाहिए ताकि लोग अपने मोबाइल को गमछे पर लेटे लेटे ही चार्ज कर सकें।

हालांकि अभी तक रेल मंत्रालय ने किसी प्रस्ताव को पास नहीं किया हैं पर फिर भी यह कहा जा रहा हैं कि केंद्र और राज्य सरकारों की मदद से रेल मंत्रालय आतंरिक रूप से “गमछा योजना” का खाका तैयार कर रहा हैं ताकि इस योजना को सभी राज्यों में सामान रूप से लागू किया जा सके।

विशेष नोट- इस तरह के आलेख से हमारा उद्देश्य केवल आपका मनोरंजन करना हैं। इसमें मौजूद नाम, संस्था और राजनीतिक पार्टियों की छवि को धूमिल करना हमारा उद्देश्य नहीं हैं। साथ ही इसमें बताया गया घटनाक्रम मात्र काल्पनिक हैं। अगर इससे कोई आहत होता हैं तो हमें बेहद खेद हैं।

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