ओम और अल्लाह- हिन्दू-मुस्लिमों को एकता के सूत्र में पिरोता है यह दर्शन

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देखा जाए तो आज के समय में सभी धर्मो में एक प्रकार की कशमकश चल रही है और इस कशमकश में हर धर्म अपने को किसी भी अन्य से आगे रख रहा है और खुद को हमेशा आगे ही बता रहा है तथा सच्चा भी, यही कारण की मानवता जितनी परेशान अलग अलग धर्मों की इस कशमकश से हुई है उतनी कभी किसी अन्य चीज से नहीं हुई है। सभी धर्म जो सिखाते हैं और जो बताते हैं उसके कोई फॉलो नहीं करता है, सिर्फ नाम की लड़ाई में सभी लोग एक दूसरे का सिर काटने में लगे रहते हैं। सबसे बड़ी बात तो ये हैं की पुरातन इतिहास से लेकर आज तक धर्म के नाम पर ऐसे बहुत से कार्य हुए हैं जिनकी इजाजत कोई भी धर्म नही देता है। देखा जाए सभी धर्म एक ही सत्य की और इशारा करते हैं और उनमें कई समानताये भी हैं पर यदि बात करे इस्लाम और सनातन धर्म की तो इन दोनों में जितनी समानताएं मिलती हैं उतनी किसी अन्य में नही मिलती हैं। आइये देखें उन समानताओं को जिनके बारे में हम लोग आज तक अंजान थे।

1- ओम और अल्लाह शब्द की समान संरचना –

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यह भी देखें

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2- ओम और 786 में समानताएं –

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3- बड़ी समानता है कि विश्व के सभी धर्मों में स्वास्तिक की रचना लगभग एक जैसी है।

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इसके अलावा कई इस प्रकार की बाते भी है जो इन दोनों ही मजहबों में दी गई नसीहतों के हिसाब से सामान हैं, आइये जानते उनके बारे में भी।

1- दोनों ही धर्म ईश्वरीय शक्ति में विश्वास करते हैं।

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2- दोनों ही धर्म में कर्म का सिद्धांत है यानी कर्म करने में इंसान स्वतंत्र है पर आखिर में कर्मो के हिसाब से फैसला ईश्वर ही करेगा।

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3- दोनों ही सभी के लिए भाईचारा, प्रेम और क्षमा का सन्देश देते हैं।

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4- दोनों ही धर्मों में एक दूसरे के प्रति प्रेम करना सिखाया गया है।

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इस प्रकार के बहुत से तथ्य हैं जो की हमें बताते हैं इस्लाम और हिन्दू धर्म में बहुत सी समानताये हैं, सही बात यह है की सभी समानताये वास्तव में मानवता और इंसानियत के रास्ते की है इसलिए ही कहा जाता है की सबसे बड़ा और पहला धर्म मानवता ही है।

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