रहस्यमय कुआं – जिसका पानी पीकर जाग जाता है स्वाभिमान और आत्मसम्मान का भाव

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आज हम आपको बता रहें है अपने देश के एक ऐसे कुएं के बारे में जिसका पानी पीकर किसी भी आदमी में जाग जाता था स्वाभिमान और आत्मसम्मान का भाव, यह कुआं मध्यप्रदेश के मुरैना जिले के ग्राम कौंथर मे स्थित है। यह बहुत ही प्राचीन कुआं है, इस कुएं को लेकर एक लोकमान्यता यह भी है कि जो भी व्यक्ति इस कुएं के जल का सेवन करता है उसमें उत्तेजना और आक्रोश इस कदर पैदा हो जाता है कि वह दूसरे व्यक्ति को मारने के लिए उतारू हो जाता है, परंतु इस कुएं के पानी की असलियत बिल्कुल अलग है असल में जो भी इस कुएं का पानी पीता है उसके अंदर में स्वाभिमान और आत्मसम्मान का भाव जाग जाता है।

इसी गांव में स्थित माता के मंदिर के 70 साल के पुजारी आशाराम बताते हैं कि आज से लगभग 100 साल पहले इस गांव के 3 बागी भाइयों ने नागाजी धाम के महाराज कंधरदास के कहने पर बीहड़ो वाला रास्ता छोड़ कर गौ हत्या रोकने का संकल्प किया था और इस संकल्प को पूरा करने के लिए तीनों भाइयों ने मुरार के कसाईखाने पर हमला कर दिया था क्योंकि वहां गौ मांस बेचा जाता था। उस कसाईखाने को खत्म करने के बाद इन भाइयों ने ग्राम कौंथर मेनशरण ले ली। इस घटना से नाराज उस समय के ब्रिटिश राज के यंग साहब नामक अंग्रेजी अफसर ने इस गांव को बर्बाद करने के लिए सेना को आदेश दे दिया था पर दो महीने तक अंग्रेज सेना गांव के मुट्ठी भर लोगों के सामने अंदर नहीं घुस पाई, इस बात से अंग्रेज परेशान हो गए और उन्होंने अपने एक जासूस को पता लगाने के लिए गांव के अंदर भेजा कि अखिर मामला क्या है। उस जासूस ने अंग्रेज अफसर को बताया कि गांव मे एक कुआं है। जिसका पानी पीने से लोगों में स्वाभिमान और आत्मसम्मान का भाव पैदा हो जाता है, तब अंग्रेजों ने अन्य लोगों को भेज कर इस कुएं को तथा अन्य कुओं को पटवा दिया और तब कहीं जाकर अंग्रेज सेना गांव के अंदर घुस पाई।

Mysterious well evokes the self respect who drinks the water of it 1Image Source:

ब्रिटिश गजीटियर में यह लिखा हुआ है –
“कौंथरगांव के प्राचीन कुएं का पानी पीकर लोग स्वाभिमानी हो जाते थे, इसका उल्लेख ब्रिटिश गजेटियर में भी है। इसमें उल्लेख है कि सन् 1914 में गर्मियों के दिनों में मुरार के कसाईखाने पर हमला किया गया था। तब ई. इलिंग बर्थ रेजीमेंट ने बागियों की घेराबंदी की, लेकिन उन्होंने सरेण्डर करते हुए अंग्रेजी सेना को दो माह तक टक्कर दी, इसलिए रेजीडेंट ने गांव के तीनों कुएं ही पाट दिए। कुछ समय पूर्व सबसे पुराने कुएं को खोला भी गया लेकिन अब उसका जलस्तर काफी नीचे चला गया है।”

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