दैत्य गुरु शुक्राचार्य के बारे में तो आप जानते ही होंगे। वे एक महान तपस्वी तथा ज्ञानी व्यक्ति थे। पौराणिक कथाओं में उनके जीवन तथा जीवन की घटनाओं के बारे में बहुत कुछ बताया गया है। मूलतः दैत्य गुरु शुक्राचार्य दैत्यों यानि राक्षसों के गुरु तथा मार्गदर्शक थे। वे दैत्यों के हर कार्य में उनका मार्गदर्शन करते थे। दैत्य गुरु शुक्राचार्य देवताओं तथा राक्षसों के बीच एक सेतू का कार्य करते थे। उन्होंने जीवन के बारे में बहुत कुछ बताया है। आज हम आपको उन्हीं के दिए ज्ञान में से कुछ ऐसे सूत्र बताने जा रहे हैं, जो आपके जीवन भर काम आएंगे। आइये जानते हैं दैत्य गुरु शुक्राचार्य के द्वारा बताएं गए इन जीवन सूत्रों के बारे में।
सूत्र -1 कल के बारे में सोचें पर कल पर कार्य न टालें
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दीर्घदर्शी सदा च स्यात्, चिरकारी भवेन्न हि।
इस सूत्र में शुक्राचार्य बताते हैं कि मानव को अपने आज के काम के साथ साथ भविष्य के बारे में भी सोचना चाहिए। उसे अपनी भविष्य की गतिविधियों के लिए योजनाएं बनानी चाहिए। व्यक्ति को आलसी न होकर दूरदर्शी होना चाहिए।
सूत्र – 2 बिना सोचें न बनाएं दोस्त
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यो हि मित्रमविज्ञाय याथातथ्येन मन्दधीः।
मित्रार्थो योजयत्येनं तस्य सोर्थोवसीदति।।
इस सूत्र में शुक्राचार्य मित्रता संबंधी बात बताते हैं। वे कहते हैं कि बिना सोचे तथा ठीक से समझे बिना हम लोगों को किसी से भी मित्रता नहीं करनी चाहिए। मित्र के गुण तथा अवगुण हमारे जीवन पर अपना प्रभाव डालते हैं। अतः हम लोगों को बहुत सोच समझ कर ही किसी को अपना मित्र बनाना चाहिए।
सूत्र – 3 किसी पर भी न करें हद से ज्यादा विश्वास
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नात्यन्तं विश्र्वसेत् कच्चिद् विश्र्वस्तमपि सर्वदा।
गुरु शुक्रचार्य का यहां कहना है कि आप लोग भले ही किसी पर कितना ही विश्वास करते हों लेकिन उस विश्वास की अपनी सीमा होनी चाहिए। हम लोगों को किसी पर भी आंखें बंद करके विश्वास नहीं करना चाहिए। आप किसी पर भी विश्वास करें परंतु एक सीमा तक ही अपने विश्वास को रखें।
सूत्र – 4 अन्न का अपमान कभी न करें
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अन्नं न निन्घात्।।
अन्न मानव जीवन का आधार होता है। बहुत से ग्रंथों में अन्न का अपमान न करने की सलाह दी गई है। आचार्य शुक्राचार्य भी इस बात को आपको बताते हैं। वे कहते हैं कि अन्न का अपमान किसी भी हालात में नहीं करना चाहिए। अन्न के अपमान से आपके जीवन में कई प्रकार के दुःख आ सकते हैं इसलिए अन्न का अपमान कभी नहीं करें।
सूत्र – 5 धर्म से ही मानव को सम्मान मिलता है
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धर्मनीतिपरो राजा चिरं कीर्ति स चाश्नुते।
यहां शुक्राचार्य धर्म के लाभ को बताते हैं। वे कहते हैं कि धार्मिक जीवन ही मानव को सम्मान दिलाता है। प्रत्येक मानव को अपने धर्म तथा धार्मिक ग्रंथों में बताई गई बातों का पालन अवश्य करना चाहिए तथा कुछ ऐसे कार्य जरूर करने चाहिए, जिनसे आम लोगों को लाभ मिल सके। आपको बता दें कि ये सभी सूत्र दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने अपने ग्रंथ “शुक्र नीति” में बताएं हैं। इन सूत्रों को यदि आप अपने जीवन में अपनाते हैं तो आपको बहुत सी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है तथा आप कई प्रकार के दुःखों और समस्याओं से बच सकेंगे।