भारत देश की अर्थव्यवस्था बेशक विश्व में एक बहुत तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था मानी जा रही हो, लेकिन आज उसी भारत देश का दूसरा रूप हम आपको सामने दिखाने जा रहे हैं। जिसको देखकर हमारे देश के नेता शायद गहरी नींद से जाग जाएं और देश के इन लोगों की तरफ भी अपना ध्यान दें। अकसर आपको भारत में हर सड़क-हर बाजार में भिखारी दिखते होंगे। लेकिन यह बात आप यकीनन नहीं जानते होंगे कि इनमें से काफी सारे पढ़े-लिखे हैं।
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आप सबको मालूम होगा की पिछले महीने सरकार ने जनगणना के आंकड़े जारी किए थे। इन आंकड़ों को लेकर कुछ पार्टियों ने मुद्दा भी बनाया था लेकिन इस बीच एक महत्वपूर्ण आंकड़ा छूट गया था जिसे पिछले हफ्ते जारी किया गया है। 2011 में इस जनगणना के अनुसार देश में 3.72 लाख भिखारी हैं और इनमें 78 हजार ऐसे हैं जो या तो 12वीं पास है या फिर डिग्री और डिप्लोमा धारक है। लेकिन अगर हम इन 78 हजार भिखारियों की ही बात करें तो इनमें से 21 फीसदी 12वीं पास है वहीं 3 हजार ऐसे भी हैं जिनके पास कोई ना कोई प्रोफेशनल कोर्स की डिग्री है। इसके अलावा आपको जानकर हैरानी होगी की इसमे कई तो ऐसे हैं जो स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी कर चुके हैं।
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जिससे यह लगता है की देश में रोजगार की स्थिति का आलम क्या है यह किसी को बताने की जरूरत नहीं है। एक चपरासी की नौकरी के लिए पीएचडी और इंजीनियरिंग की डिग्री लिए लोग आवेदन करते हैं। ऐसे ही एक भिखारी जो अपनी योग्यता के आधार पर नौकरी नहीं मिलने के चलते इस ‘प्रोफेशन’ में आ गए। उनके अनुसार उन्हें योग्यता के अनुसार नौकरी नहीं मिली एक अस्पताल में वॉर्ड बॉय के रूप में काम करते हुए जब यह रास नहीं आया तो भिखारी बन गए। यहां पहले से ज्यादा कमाई होती है और अब 30 भिखारियों की एक टीम भी बना ली है।
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वहीं एक समाजशास्त्री गौरंग जानी बताते हैं की, ‘अगर स्नातक की पढ़ाई करने के बाद लोग भीख मांग रहे हैं, तो यह संकेत है कि देश में बेरोजगारी की दिक्कत कितनी गंभीर हो गई है। जब लोगों को संतोषजनक नौकरी नहीं मिलती तो वे भीख मांगने लग जाते हैं। उनके पास कोई सामाजिक आधार भी नहीं होता। ना ही कोई उनकी मदद करने वाला होता है। ऐसे में भीख मांगने के अलावा उन्हें कोई विकल्प नहीं सूझता है।’ तो सुना आपने किस तरह यह काम देश के लिए एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। ऐसे में आपको क्या लगता है की सरकार को इस गंभीर समस्या से बचने के लिए क्या करना चाहिए।