मिसाल: अक्षम होने पर भी बन गया एक काबिल अफसर

0
360

“कहते है मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है,
पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से ही उड़ान होती है।”

इस बात को हैदराबाद में रहने वाले राजा महेंद्र प्रताप ने साबित कर दिखाया है। जिनके हाथ पैर बचपन में ही एक हादसे में चले गए थे। जिसकी वजह से उन्हें 10 वर्ष तक एक बदं कमरे में कैद होकर ही बिताने पड़े थे। पर मन में तो आगे बढ़ने की लगन थी जिससे वो घर पर रहकर अपनी शारीरिक कमजोरी के चलते छिपी प्रतिभा को दबाना नही चाह रहे थे। इसके लिए उन्होंने अपने शरीर को तकलीफ देना शुरू कर दिया और अपने सभी काम खुद से करने की कोशिश करने लगे। इसी के साथ उन्होने आगे पढ़ाई करने की ठान ली। बहनों के सपोर्ट से और अपनी लगन से उन्होंने घर पर ही रहकर दसवीं और बारहवीं की पढ़ाई पूरी की।

raja Mahendra PratapImage Source:

घर से बाहर निकलते वक्त घुटनों के सहारे चलने से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। जिसके लिए उन्होंने मोची से अपने लिए एक स्पेशल सैंडल बनवाई। जिसके सहारे चलकर उन्होनें हैदराबाद की ओस्मानिया यूनिवर्सिटी से बीकॉम और इसके बाद फाइनेंस में एमबीए किया। एमबीए करने के लिए प्रताप को नेशनल सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ इम्प्लॉयमेंट फॉर डिसेबल्ड पीपुल से स्कॉलरशिप दी गई।

raja Mahendra Pratap3Image Source:

एमबीए डिग्री पा लेने के बाद शुरू हुआ नौकरी का सिलसिला, उनकी इस हालत को देख कर कपंनी उन्हें लेने को तैयार नहीं थी। यहां पर उनकी योग्यता नहीं बल्कि शारीरिक क्षमता को हर जगह आंका जा रहा था। क्योंकि कपंनी का मानना था कि वो अपने काम को पूरा करने में असक्षम है। और इसी कारण उन्हें नौकरी देने से मना कर दिया जाने लगा लेकिन इसके बाद भी प्रताप ने हार नहीं मानी और नौकरी तलाश करते रहे। आखिरकार एक दिन उनकी उम्मीद जाग ही गई।

जब उन्हें नेशनल हाउसिंग बैंक में असिस्टेंट मैनेजर की जॉब मिली। इसके बाद वो ONGC अहमदाबाद में फाइनेंस एंड अकाउंट्स में ऑफिसर बने। अभी वो इसी पद पर बने हुए है। आज भले ही समाज का उनके प्रति नजरिया बदल चुका है, पर प्रताप की इस लगन को देख लगता है कि उम्मीद किसी की खाली नहीं जाती, यदि आपके जज्बे में लगन हो तो मंजिल ही जाती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here