जिंदादिल महिला – 94 साल की उम्र में चुनी गई सरपंच, बोली मोदी मेरे बेटे जैसा

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कहा जाता है कि देश की राजनीतिक व्यवस्था में युवाओं को हमेशा आगे रखा जाना चाहिए पर कुछ लोगों का तर्क यह भी है राजनीति का एक विस्तृत क्षेत्र है जिसका असर हमारे देश और विदेशों पर भी व्यापक रूप से पड़ता है इसलिए ऐसे क्षेत्र में किसी अनुभवी व्यक्ति को ही उतारना चाहिए। अतः बुजुर्गो को ही राजनीति में आना चाहिए। इस प्रकार की ये दो विचारधाराएं अलग-अलग चलती है अभी हालही में एक ऐसा ही मामला सामने आया है जिसमें बुजुर्ग वाली विचारधारा के लोगों ने स्वीकार कर एक 94 साल की महिला को गांव का सरपंच बना दिया पर जिसने भी इस खबर को सुना वह चकित रह गया। आइये जानते हैं इस महिला के बारे में।

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94 साल में गांव की सरपंच बनने वाली इस महिला का नाम है “गंगूबाई भम्बूरे”, ये महाराष्ट्र के पुणे में स्थित भम्बुरवडी नामक गावं में रहती है। वर्तमान में इनकी आयु 94 वर्ष हो चुकी है। इस महिला को सभी लोग प्यार से “आजी” शब्द से पुकारते हैं। यह महिला वर्तमान में अपने गांव की सरपंच चुनी गई है। इस महिला का कहना है कि “मैं किसी को निराश नहीं करुंगी, मैं युवा और शिक्षक की तरह गांव के घर-घर जाकर हर समस्या पर बात करुंगी। मुझे धूप या बारिश की कोई परवाह नहीं है। गांव वालो ने मुझे इतना बड़ा सम्मान दिया है यह मेरे लिए गर्व की बात है। ये काम करने का समय हैं वरना मेरे सरपंच बनने का कोई फायदा नहीं है।”

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सरपंच बनते ही गंगूबाई ने पहला काम बताया कि “वह 7 गांवों के 250 किसानों की मदद करेगी। इन लोगों के पास में लगभग 1000 खेती की भूमि है पर पानी की किल्लत के चलते ये किसान इस भूमि पर खेती नहीं कर पा रहें हैं।” दिलचस्प बात यह है कि गंगूबाई ने महज 50 वोटों से अपनी प्रतिपक्षी महिला कॉम हरा दिया था जबकि वह महिला राजनीतिक परिवार से संबंध रखती है। गंगूबाई ने प्रधानमंत्री मोदी को अपने बेटे जैसा बताते हुए कहा कि मोदी मेरे लिए बेटे जैसा है, उम्र के हिसाब से देखा जाए तो गंगूबाई ने सही ही कहा है। अब देखना यह है कि गंगूबाई गांव को कितने बेहतर तरीके से संभालती हैं।

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