इस गांव की सुंदरता को देखने रोजाना आते हैं सैकड़ों पर्यटक

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देश में पर्यावरण को साफ सुथरा बनाने के लिए सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं। एक दिन पहले ही उत्तर प्रदेश में प्रदेश सरकार की ओर से पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिए पॉलीथिन को बैन कर दिया गया है। जहां देश में कई गांव बदहाली की कगार से गुजर रहे हैं, वहीं मेघालय के एक छोटे से गांव की स्वच्छता और बेहतर पर्यावरण के चलते यहां पर रोजाना सैकड़ों की तादाद में पर्यटक आते हैं। इस गांव में ऐसी कई निराली बातें हैं जो इन्हें एशिया का सबसे साफ सुथरा गांव बनाती हैं। बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मन की बात कार्यक्रम में इस गांव की चर्चा की थी।

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देश में इन दिनों पर्यावरण को साफ सुथरा बनाने के लिए नई योजनाएं तैयार की जा रही हैं। इन योजनाओं के माध्यम से सरकार देश को साफ सुथरा और नई पहचान प्रदान करना चाहती है। वहीं, देश में आज भी कई गांव ऐसे हैं जहां पर मूलभूत आश्यकताएं भी मौजूद नहीं हैं। ऐसे में इन गांवों को पर्यावरण को साफ सुथरा बनाने की नसीहत देना बेईमानी सी प्रतीत होती है। जहां देश के बदहाल गांवों की संख्या बेहद अधिक है, वहीं इन सभी के बीच एक गांव अपवाद बनकर सामने आया है। इस गांव का नाम एशिया के सबसे खूबसूरत गांव की संख्या में लिया जाता है।

मेघालय के छोटे से गांव मावलिननॉन्ग में प्लास्टिक लंबे समय से पूरी तरह से प्रतिबंधित है। इस गांव की सड़कों के किनारे फूलों की कतार लगी हुई है। इस गांव में वर्ष 2003 तक बाहर से कोई भी पर्यटक नहीं आता था। फिर करीब 12 साल पहले डिस्कवरी इंडिया ट्रैवल नामक एक मैगजीन का पत्रकार इस गांव में पहुंचा। जिसके बाद यह गांव दुनिया भर में पहचाना जाने लगा।

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दुनियाभर में पहचान बनाने के बाद इस गांव में पर्यटकों का आना जाना शुरू हुआ। पर्यटकों की संख्या को देखते हुए गांव वालों की ओर से सरकार को पत्र लिख यहां पर पार्किंग की व्यवस्था करने को कहा गया है। इस सीजन में इस गांव में रोजना करीब 250 तक पर्यटक पहुंचते हैं।

इस गांव को खासी आदिवासियों का गांव माना जाता है। इस गांव की यह भी खूबी है कि यहां पूर्वजों की संपत्ति अपने पुत्र की जगह पुत्री को दी जाती है। ऐसे में यहां की सारी संपत्ति को माताएं अपनी पुत्रियों को प्रदान करती हैं। इसके अलावा यहां पर बच्चों के नाम के पीछे उनकी माता का नाम जोड़ा जाता है।

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गांववालों का कहना है कि इस गांव में साफ सफाई पर करीब 130 वर्ष पहले से ही जोर दिया जा रहा है। एक बार गांव में हैजे की बीमारी फैल गई थी। तब यहां पर चिकित्सीय सुविधा न होने के चलते क्रिश्चियन मिशनरी ने लोगों को बताया था कि केवल साफ सफाई से ही लोगों को बीमारी से बचाया जा सकता है। इस कारण ही यहां पर सब लोग पूरे गांव की साफ सफाई में हिस्सा लेते हैं। इतना ही नहीं, इस गांव में 100 में से करीब 95 घरों में शौचालय बने हुए हैं।

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