आज का इतिहास- रूसी महिला बनी भारत की पहली योग गुरू

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हमारे देश में योग काफी प्राचीन समय से ही किया जाता रहा हैं। कई सिद्ध महापुरूष और महान ऋषीमुनी काफी प्राचीन समय से योग में लिप्त हो अपने उद्देश्य को सफल बनाने के लिए प्रयास करते आये हैं। हमारे भारत में योग को पुरूष ही ज्यादा करते आ रहे हैं, लेकिन इस सोच पर एक विदेशी महिला ने विराम लगा दिया और बन गई पहली विदेशी महिला योग गुरू। जानें इस विदेशी महिला के बारे में जिसने भारत की संस्कृति में अपने को ढालकर एक भारतीय योग गुरू बनने का गौरव प्राप्त किया।

ये कहानी है यूजीन पीटरसन की…जिनका जन्म रूस में 12 मई के दिन 1899 में हुआ था और 15 वर्ष की आयु में उन्होंने अपने देश में रवीन्द्र नाथ टैगोर के साथ योगी रामचक्र की कुछ किताबें पढ़ी जिसे पढ़कर वो इतनी उत्साहित हो गई कि उन्होने भारत आने का मन लिया।

1927 में यूजीन भारत पहुंची, यहां पहुंच कर जब यूजीन आधुनिक योग के जनक एंव प्रसिद्ध योग गुरू तिरूमलाई कृष्णाचार्य के पास योग सिखने पहुंची तो योग गुरू ने उन्हें योग की शिक्षा देने से मना कर दिया। उनका कहना था कि वह किसी भी औरत और वह भी विदेशी को योग नहीं सिखा सकते यूजिन नें इसके लिये काफी प्रार्थना की जिसके बाद योग गुरू उन्हें योग सिखाने को तैयार हो गये। योग गुरू पट्टाभाई जोएस और बीकेएस आयंगर के साथ रहकर यूजीन ने कई कठिन प्रशिक्षण को सीखते हुये कुछ ही वर्षों में योग में महारथ हासिल कर ली।

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यूजीन ने अपने नाम को बदल दिया और यूजीन की जगह इंदिरा देवी के नाम से प्रसिद्ध हो गई। कुछ समय के बाद इंदिरा देवी के पति की पोस्टिंग चीन में हो गई जहां पर उन्हें भी अपने पति के साथ जाना पड़ा और यहीं पर रहते हुये इन्होंने अपना पहला योग स्टूडियो खोला जो काफी प्रसिद्ध हुआ। इसके बाद वह अमेरीका गई, जहां पर उन्होंने योग कला का अच्छा प्रचार प्रसार किया। अब काफी संख्या में लोग इस कला से प्रभावित होकर जुड़ने लगे। अमेरीका की बड़ी बड़ी हस्तियां भी उनके योग कला की दीवानी होने लगी। अब वो ‘लेडी ऑफ योगा’ के नाम से पहचाने जानें लगी। इसके उन्होंने चीन, अमेरिका, अर्जेंटीना में योग शिक्षा देते हुये यूरोप में भी योग सिखाना शुरू कर दिया। अब हर तरह से ये विदेशी महिला आधुनिक विश्व की पहली महिला योग गुरू के रूप में अपना स्थान कायम कर चुकी थी। उन्होंने योग कला को सीख कर ये साबित कर दिया कि भले ही भारत की मिट्टी में उनका जन्म ना हुआ हो पर इसकी संस्कृति से जुड़कर उन्होनें पूरी दुनिया में भारतीय योग विद्या फैलाकर सभी को इससे जोड़ दिया।

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साल 2002 में इंदिरा की मौत हो गई । आज भले ही वो हमारे बीच नहीं है पर उनके द्वारा सिखाई गई कला हर देश की मिट्टी में रहकर उनकी याद दिलाती है.

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