पुनर्जन्म – बच्चे ने बताई अपने पिछले जन्म की कहानी, कहा 10 साल रहा भगवान के घर

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देखा जाए तो पुनर्जन्म एक ऐसा विषय है जिसको ज्यादातर लोग नहीं मानते हैं, पर यह भी सच है कि इस विषय से जुड़ी सभी घटनाएं सभी प्रकार के मत-मतांतरों को मानने वाले लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती है। हालही में एक ऐसे ही बच्चे ने बिहार राज्य में जन्म लिया है, जो की अपनी पूर्व जन्म की बातें लोगों को बता रहा है और अपने वर्तमान पिता के घर और उसके सभी सदस्यों को नकार रहा है। आज हम आपको इस बच्चे के बारे में ही अपने इस आलेख में बता रहें हैं। आइए जानते हैं इस बच्चे के बारे में।

बिहार के श्रावस्ती क्षेत्र में स्थित शिवबालकपुरवा का एक पांच वर्ष का बच्चा आजकल चर्चा का विषय बना हुआ है। इसका कारण इस बच्चे को अपने पिछले जन्म की सभी घटनाओं का पता होना है। इस बच्चे की वर्तमान आयु 5 वर्ष है और इसका नाम “सूर्य प्रकाश” है। यह बच्चा इस गांव में रहने वाले “वकील पुत्तीलाल” के घर में पैदा हुआ, इस बच्चे की वर्तमान मां ने बताया कि यह बच्चा एक दिन दूध मांग रहा था, पर वह किसी अन्य काम में व्यस्त थी, इसलिए बच्चे को दूध नहीं दे पाई, इससे बच्चा नाराज हो गया और उसने उनको अपनी मां मानने से इनकार कर दिया और वह कहने लगा कि यह उसका असल घर नहीं है। पहले तो बच्चे की इन बातों को घर के लोगों ने हल्के में लिया, पर जब बच्चा बार-बार यही बात दोहराने लगा तो घर के सदस्यों को बच्चे की बातों में कुछ गंभीरता नजर आने लगी।

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घर के लोगों ने जब इस बच्चे की बात सुनी तो उसने बताया कि “वह हरियाणा के गुणगांव के पास मनवाला गांव में रहता था। वह पेशे से किसान था और उसके पास 10 बीघा खेती थी। उसका नाम शिवशंकर था। उसके दो बेटे और एक बेटी थी। बेटे का नाम शिवनाथ व भोला बताया। जबकि बेटी का नाम सूर्यमुखी था।बताया क‌ि उसके पास दस बीघे जमीन थी, जिस पर ज्यादातर सब्जियां ही उगाई जाती थी। साथ ही बताया कि बेटे आढ़त का काम करते थे।” बच्चे ने आगे बताया कि “उसकी मृत्यु नब्बे साल की उम्र में हुई थी। उसने अपनी पत्नी का नाम आमली बताया। बच्चे ने ये भी बताया कि वह दस साल भगवान के पास रहा फिर यहां आ गया।”, इस प्रकार की बात यह बच्चा कर रहा है और इस वजह से ही यह चर्चा में है। खैर, सच क्या है और क्या नहीं यह तो कोई नहीं बता सकता, पर यह बच्चा वर्तमान में चर्चा में जरूर बना हुआ है।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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