16 दिसंबर 2012 की रात को दिल्ली के बसंत विहार इलाके में हुए एक शर्मनाक, दर्दनाक और रोंगटे खड़े कर देने वाले हादसे को दुनिया निर्भया कांड के नाम से जानती है। उस वीभत्स हादसे को तीन साल गुजर जाने के बाद भी लोग भुल नहीं पाए हैं। उसी निर्भया कांड का नाबालिक आरोपी जिसने इस जघन्य अपराध में सबसे ज्यादा दरिंदगी दिखाई थी, कोर्ट ने उसे जुवेनाइल मानकर सिर्फ तीन साल की सजा सुनाई थी। यह अवधि पूरी होने के बाद इस दिसंबर में उसके रिहा होने की चर्चाएं जोरों पर हैं, लेकिन सूत्रों के जरिए खबर यह आ रही है कि इस जुवेनाइल को फिलहाल रिहा नहीं किया जाएगा।
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जानकारी के मुताबिक 22 दिसंबर को नाबालिग को सुधार गृह से तो निकाल लिया जाएगा, लेकिन उसे ‘बरी’ नहीं किया जाएगा। अब 21 साल के हो चुके इस जुवेनाइल को एक साल के लिए एक एनजीओ की निगरानी में रहना होगा। ऐसा बताया जा रहा है कि बाल सुधार गृह में उसकी हरकतें काफी संदिग्ध रही हैं। जिसके कारण उसे प्रशासन की नजरों के सामने रखा जाएगा और उसकी हरकतों आदि पर करीब से नजर रखी जाएगी।
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आपको बता दें कि नाबालिग की रिहाई की खबरों से जनता में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा था। जिसके बीच दिल्ली पुलिस ने आरोपी को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की धाराओं के तहत बंदी बनाए रखने का विचार किया है। उधर, निर्भया के अभिभावकों ने भी नाबालिग का चेहरा दिखाए जाने की मांग की है। साथ ही उसकी रिहाई रोकने के लिए गृह मंत्रालय, अदालत और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में याचिकाएं भी दायर की है।
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वहीं, अपराध की जघन्यता को देखते हुए नाबालिग को मिली इस सज़ा से कई लोगों में असंतुष्टि भी नज़र आई। ऐसी मांग उठने लगी कि गंभीर अपराधों में शामिल नाबालिगों को मिलने वाली सज़ा के प्रावधानों में बदलाव किए जाने चाहिए। वैसे इस अपराध में शामिल बाकी चार अपराधियों को फांसी की सज़ा सुनाई जा चुकी है, जबकि पांचवां अपराधी जेल में मृत पाया गया था।
निर्भया के माता-पिता का कहना है कि नाबालिग ही उनकी बेटी की मौत के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। इनकी शिकायत के आधार पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है। नाबालिग की रिहाई की बात से जनता के आक्रोश की आशंका के चलते गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस से राय भी मांगी है। वहीं, खबर यह भी है कि दिल्ली पुलिस इस मामले में कानूनी सलाह ले रही है।