विश्व में आगे रहने वाला अमेरिका भारतीय खजाने से पिछड़ा

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दुनिया भर की अर्थव्यवस्था में आगे रहने वाला अमेरिका धीरे धीरे भारत से पिछड़ने लगा है। अमेरिका ही एक ऐसा देश है जिसकी अर्थव्यवस्था का सीधा असर दुनिया भर की सभी अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ता है, लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि विश्व में अपनी पैठ रखने वाले इस देश का खजाना हमारे भारत से कहीं पीछे हैं। मीडिया रिपोर्टस के अनुसार अमेरिका के पास सोने का खजाना लगभग 8133.5 टन है। जबकि आम भारतीयों के पास निजी सोने का खजाना 22000टन के करीब है। ऐसे में इस देश के आगे भारत का खजाना बहुत ही ज्यादा है। वहीं इस खजाने को इस्तेमाल करने के लिए अब भारत की सरकार भी नई योजनाएं ला रहीं हैं। जिससे की भारत ही अर्थव्यवस्था में तेजी से इजाफा हो सके।

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आपको बता दें कि दुनिया भर के लोगों की नजर केवल अमेरिका की ओर ही लगी रहती हैं। लेकिन अब समय धीरे धीरे बदल रहा है और सोने की चिड़िया कहे जानें वाला भारत दोबारा से सोने की खान में तबदील हो रहा है। कुछ मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत के पास आस अमेरिका से अधिक सोना मौजूद है। बताया गया है कि भारतीयों के पास निजी सोना 22000टन मौजद है। वहीं अमेरिका के खजाने में 8133.5 टन सोना मौजूद है।

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सोने की बात की जाए तो भारत के सबसे धनी मंदिर तिरूपति बाला जी के खजाने में ही 7 टन सोना मौजूद है। इतना ही नहीं इस मंदिर के पास 30 टन सोना भी है। इसके आलवा 1टन करीक कीमती पत्थर मौजूद है। इस मंदिर की कमाई के अकाड़ों पर नजर डाली जाए तो मंदिर की सालाना कुल आय 2600 करोड़ रूपए है। इसके साथ ही हुंडी में 1000 करोड़ का चढ़ावा, निवेश से 800 करोड़ और टिकट, प्रसाद आदि से करीब 600 करोड़ की कमाई की जाती है। यह तो केवल भारत के मंदिर की ही बात की गई हैं। सोचिए अगर सारे मंदिर मिल कर भारत की अर्थव्यवस्था में सहयोग देने लग जाए तो भारत कितनी तेजी से अपना विकास कर सकता है। भारतीय के सोने के खजाने को बाहर लाने के लिए ही सरकार ने नई योजना तैयार की है। जिसमें सोने को भी अब बैंकों में जमा करवाकर ब्याज की अच्छी खासी रकम कमाई जा सकती है।

vikas Arya
vikas Aryahttp://wahgazab.com
समाचार पत्र पंजाब केसरी में पत्रकार के रूप में अपना कैरियर शुरू किया। कई वर्षो से पत्रकारिता जगत में सामाजिक कुरीतियों और देश दुनिया के मुख्य विषयों पर लेखों के द्वारा लोगों को जागरूक करने का प्रयास कर रहा हूं। अब मेरा प्रयास है कि मैं ऑनलाइन मीडिया पर भी अपने लेखों से लोगों में नई सोच और नई चेतना का संचार कर सकूं।

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