क्या इन पिछड़ी जन-जातियों के प्रगतिशील नियमों से वाकिफ हैं आप

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भारत एक ऐसा देश है जो विश्वभर में अपनी विभिन्नता के लिए प्रसिद्ध है। देश की प्राचीन संस्कृति और सभ्यता इसे बाकी दुनिया से अलग करती है। देश आज आधुनिकरण व विकास के मार्ग पर अग्रसर है। मगर बावजूद इसके देश में कई ऐसी जनजातियां निवास करती हैं जिन्हें समाजिक तौर पर पिछड़ा हुआ समझा जाता है। यही वजह है कि ये सब लोग शहरी माहौल से दूर क्षेत्रों में बसरते है। आमतौर पर अधिकतर लोगों की यही सोच है कि ये जनजातियां वर्तमान समय से काफी पीछे हैं, जबकि वर्तमान समाज तो अब काफी आधुनिक हो गया है, लेकिन सच कहें तो यह आपका एक भम्र है क्योंकि इन जनजातियों के जीवन जीने के नियम हमारे आधुनिक समाज से कहीं ज्यादा विकासशील है और कुछ तो ऐसे है, जिन्हें हमे भी अपनाना चाहिए। चलिए जरा करीब से जानते हैं भारत में बसने वाली इन जातियों को।

1- भील जन-जाति

 भील जन-जातिImage source:

यह जन-जाति देश के महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, गुजरात और राजस्थान राज्य के अलग अलग क्षेत्रों में बसती है। इस जन-जाति के लोगों में वो गुण जिसका अभाव आज भी हमारे आधुनिक समाज में है। भील जाति के लोगों में महिलाओं को पुरुषों के ही समान अधिकार दिए जाते है। वह हर वो कार्य कर सकती हैं जिसका अधिकार पुरुषों को होता है। यही वजह है कि इस जाति की महिलाओं को सरेआम हुक्का व शराब पीते देखा जाता है। इसके अलावा इस जाति की महिलाओं को विधवा होने के बाद दोबारा विवाह करने की भी पूरी आजादी है। यहां तक की अगर कोई 100 वर्ष की महिला विधवा होने के बाद विवाह की इच्छा रखती है तो वह कर सकती है। साथ ही जब तक विधवा स्त्री की शादी नही हो जाती तब तक उसका भरण पोषण व सुरक्षा की जिम्मेदारी पूरे गांव की होती है।

2- खासी जन-जाति

 खासी जन-जातिImage source:

यह जन-जाति मेघालय व असम के सीमावर्ती क्षेत्रों में निवास करती है। इस जन-जाति में मां को सबसे प्रमुख दर्जा दिया जाता है। ये लोग मातृसत्ता के नियम को मानती है। इनके नियमों के मुताबिक मां के मरने के बाद उसकी संपत्ति उसकी बेटी को दी जाती है। यहां तक बच्चे का उपनाम भी मां के नाम पर होता है। इस जाति के लोगों में तालाक का एक अलग ही तरीका है। इसके लिए तालाक लेने वाला जोड़ा पहले एक दूसरे को 5-5 पैसे का सिक्का देते है फिर ये सिक्का घर के बुजुर्ग को दिया जाता है वह उसे हवा में उछालता है और लो हो गया तालाक।

3- पटुआ और चित्रकार

पटुआ और चित्रकारImage source:

इस जनजाति के लोगों का जीवन बसर करने का तरीका काफी अलग है। ये लोग कलाकार होते हैं जोकि चित्रकारी या फिर पुरानियों को गीतों के जरिये यहां वहां घूम कर लोगों को सुनाते हैं। यही इनकी पूंजी का साधन होता है। कई बार यह लोग दूर दराज के गांवो में जाकर लोगों को सरकार की अगामी योजनाओँ के बारे में भी बताते है। यह लोग चित्रकारी में बहुत अवल होते हैं, लेकिन इनकी संख्या काफी कम हो गई है।

4- गोवडा

 गोवडाImage source:

इस जन-जाति के लोग गोवा के समुद्री किनारों के आस पास मौजूद क्षेत्रों में बसती है। जीवन जीने को लेकर इस जाति के नियम समाज के नियमों से भिन्न है। इस जाति में अगर पिता की मौत होती है तो उसकी सारी संपति पत्नी के नाम कर दी जाती है। पत्नी की मौत के बाद इस संपति को बेटो बेटियों में बराबर बांटा जाता है।

5- हालककी वोक्कालिगा

हालककी वोक्कालिगाImage source:

हालककी वोक्कालिगा जाति कर्नाटक उत्तर में बसती है। इस जाति के लोग अफ्रिका की मसाई और आस्टेलिया की एवोरिजीन जाति के लोगों की तरह प्रतीत होते हैं। इस जाति में भी महिलाओं को उच्च माना जाता है। इस जाति की महिलाएं खेती से लेकर पूरी संप्रदा को एकजुट रखने तक की जिम्मेदारी को निभाती हैं। यह लोग संगीत प्रेमी है और इसी के जरिये ये अपने विचारों और सोच को प्रकट करते हैं।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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