साल 2015 जाने वाला है। इस साल ने जाते-जाते हमसे बहुत कुछ छीना भी है, जिसकी क्षति अब शायद ही कभी पूरी हो। देखा जाये तो परिवर्तन ही संसार का नियम है, पर स्मृति कभी समाप्त नहीं होती। कुछ महान लोग समय के बहाव में इस साल 2015 में खो गए। उनकी स्मृति सदैव हमारे ह्रदय में रहेगी। यहां आपके साथ उन लोगों को याद कर हम उनको सामूहिक तौर पर श्रद्धांजलि देते हैं।
1- पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम –
भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का 27 जुलाई 2015 को 83 साल की उम्र में शिलॉन्ग में निधन हो गया। वह एक कार्यक्रम में भाषण दे रहे थे। इसी दौरान वह अचेत होकर गिर गए। उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उनकी मृत्यु हो गई।
कलाम के बारे में कुछ ज्यादा बताना जरूरी नहीं, क्योंकि कलाम का नाम स्वयं सब कुछ बता देता है। कलाम की पहचान किसी की मोहताज नहीं है। तमिलनाडु के रामेश्वरम में जन्मे अब्दुल कलाम भारत के जाने-माने मिसाइल वैज्ञानिक थे और वे 2002 से 2007 तक भारत के राष्ट्रपति रहे।
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2- सिस्टर निर्मला जोशी –
मदर टेरेसा के बाद मिशनरीज ऑफ चैरिटी की प्रमुख के पद की जिम्मेदारी संभालने वाली सिस्टर निर्मला जोशी का 23 जून 2015 की सुबह निधन हो गया। वह 81 साल की थीं। मदर टेरेसा के निधन से छह महीने पहले 13 मार्च, 1997 को सिस्टर निर्मला को मिशनरीज ऑफ चैरिटी का सुपीरियर जनरल चुना गया था। सिस्टर निर्मला का जन्म 1934 में एक नेपाली मूल के हिंदू-ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता भारतीय सेना में अफसर थे। सन् 2009 में भारत सरकार द्वारा सिस्टर निर्मला को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। 25 मार्च 2009 को वे अपने पद से सेवानिवृत्त हुईं और जर्मन महिला सिस्टर मैरी प्रेमा ने उनका पद सम्भाला।
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3- शाह अब्दुल्ला बिन अब्दुलअजीज –
सऊदी अरब के सुल्तान शाह अब्दुल्ला का 23 जनवरी 2015 को 90 साल की उम्र में निधन हो गया है। सुल्तान अब्दुल्ला साल 2005 में अपने सौतेले भाई शाह फहद की मौत के बाद सत्ता में आए थे। सुल्तान अब्दुल्ला को देश में सुधार कार्यक्रमों को बढ़ावा देने और चुनावों में महिलाओं को वोट का अधिकार दिलाने के लिए जाना जाता है। शाह ने अपने शासनकाल में वाशिंगटन के साथ ऐतिहासिक तौर पर करीबी संबंध बनाए रखा। अब्दुल्ला का जन्म वर्ष 1924 में रियाद में हुआ था। वह सउदी अरब के संस्थापक शाह अब्दुल-अजीज अल सऊद के एक दर्जन पुत्रों में से एक थे। अब्दुल अजीज के सभी बेटों की तरह अब्दुल्ला को भी प्रारंभिक शिक्षा ही मिली थी। अच्छी कद-काठी वाले शाह अब्दुल्ला को राज्य के रेगिस्तानी इलाके नेज्ड में रहना ज्यादा पसंद था।
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4- अशोक सिंघल –
विश्व हिन्दू परिषद के वरिष्ठ नेता और अयोध्या में राम मंदिर निर्माण आंदोलन के जनक अशोक सिंघल का 17 नवंबर 2015 को गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। वह काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। वह 89 वर्ष के थे। विहिप के मुख्य संरक्षक अशोक सिंघल का जन्म 15 सितंबर 1926 में आगरा में हुआ था। उनके पिता सरकारी अधिकारी थे। अशोक सिंघल ने बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी से 1950 में मैटलर्जिकल इंजीनियरिंग में बैचलर डिग्री हासिल की थी। इंजीनियरिंग की डिग्री के बाद वे 1942 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में शामिल हो गए। उन्होंने 1980 में दिल्ली और हरियाणा में प्रांत प्रचारक के रूप में भूमिका निभाई। इसके बाद 1984 में उन्हें विश्व हिन्दू परिषद में प्रतिनियुक्त किया गया। वे 20 साल से विश्व हिन्दू परिषद के प्रमुख थे। लंबे समय तक विश्व हिन्दू परिषद के जनरल सेक्रेटरी रहे। दलितों के साथ तिरस्कार की भावना और उसके चलते हो रहे धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए भी अशोक सिंघल ने अहम भूमिका निभाई।
अशोक सिंघल ने साल 1984 में धर्म संसद का आयोजन कर हिंदुओं को एकजुट किया। इसी धर्म संसद में साधु संतों की बैठक के बाद राम जन्मभूमि आंदोलन की नींव पड़ी थी। इस आंदोलन से भी अशोक सिंघल काफी लंबे समय से जुड़े रहे। बाबरी ढांचा गिराने के मामले में भी अशोक सिंघल आरोपी थे। अशोक सिंघल हिन्दुस्तानी संगीत में गायक भी थे।
5- रसिपुरम कृष्णस्वामी अय्यर लक्ष्मण –
आम आदमी को पहचान देने वाले और कॉमनमैन को नायक बनाने वाले भारत के सबसे मशहूर कार्टूनिस्ट रसिपुरम कृष्णस्वामी अय्यर लक्ष्मण (आर.के. लक्ष्मण) का 94 साल की उम्र में 26 जनवरी 2015 को पुणे में निधन हो गया। लक्ष्मण का जन्म 24 अक्तूबर 1921 में मैसूर में हुआ। बचपन से ही उन्हें कार्टून और चित्रकारी का शौक था। घर की दीवारों से लेकर ज़मीन यहां तक कि पीपल के पत्ते कुछ भी लक्ष्मण के कलम और चॉक से अछूते नहीं रहे। लक्ष्मण की ज़िंदादिल शख्सियत का एक और पहलू था कि वह बचपन में अपने मोहल्ले में शरारतों के लिए मशहूर थे। उनके कारनामों से प्रेरित होकर उनके भाई मशहूर लेखक आर.के. नारायण ने कई कहानियां लिखीं जो बहुत लोकप्रिय हुईं। लक्ष्मण ने मैसूर यूनीवर्सिटी से आर्ट की डिग्री ली और फिर हुई उस सफर की शुरूआत जिसने भारत को उसका सबसे लोकप्रिय कार्टूनिस्ट दिया। चेक शर्ट पहने आर.के. लक्ष्मण का ये आम आदमी रोजमर्रा के जीवन, आम आदमियों की परेशानियों और नेताओं पर कटाक्ष करने का कोई मौका नहीं छोड़ता। धीरे-धीरे ये कार्टून भारत के आम आदमी की आवाज के रूप में देखा जाने लगा। लक्ष्मण को उनकी कला के लिये पद्म-विभूषण और रेमन मैग्सेसे अवार्ड से भी नवाजा गया।