नवरात्रों के दौरान मां दुर्गा के प्रत्येक रूप से सम्बंधित एक औषधि के बारे में तो हम आपको लगातार बता ही रहें हैं। मगर इस बार हम आपकों नवदुर्गा के सातवें रूप और उससे सम्बंधित औषधि के बारे में बताने लगे है। सबसे पहले हम आपको बता दें की नवदुर्गा का सातवां रूप “कालरात्रि” का है और इस रूप से सम्बंधित औषधि “नागदौन” है। नागदौन नामक यह औषधि सभी प्रकार के रोगों का शमन करती है। मन तथा मष्तिष्क के लिए यह औषधि बहुत ज्यादा कारगर है तथा इनसे जुड़े रोगों का शमन करने के लिए अमृत समान है। यह औषधि सुख प्रदाता तथा सभी प्रकार के विषों को मिटाने वाली है। माना जाता है इस औषधि का पेड़ अपने घर में लगाने मात्र से घर में सुख समृद्धि का वास होता है। यदि किसी व्यक्ति को जीवन में किसी भी प्रकार की शारारिक या मानसिक समस्या हो तो उसको मां कालरात्रि की उपासना अवश्य करनी चाहिए।
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नवदुर्गा का सातवां रूप मां कालरात्रि का है। असल में मां कालरात्रि “काल” का नाश कर देती हैं इसलिए ही इनका नाम “कालरात्रि” है। मां कालरात्रि को मां दुर्गा ने रक्तबीज का नाश करने के लिये उत्पन्न किया था। मां कालरात्रि असल में शुभ फल देने वाली है इसलिए इनको “शुभंकरी” के नाम से भी जाना जाता है। मां कालरात्रि को प्रसन्न करने के लिए साधक निम्न मंत्र का जाप करते हैं।
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
मां कालरात्रि का रूप अत्यंत भयंकर है। इनका शरीर बिलकुल काला होता है। इनके गले में विधुत की माला है। इनके चार हाथ तथा तीन आंख हैं। इनका वाहन “गधा” है जो की दुर्बुद्धि का प्रतीक है। आपको यह भी बता दें कि मां कालरात्रि को “गुड़” का भोग बहुत ज्यादा पसंद है, इसलिए पूजन करते समय भोग के लिए गुड़ का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। इस प्रकार से नवदुर्गा के मां कालरात्रि रूप का पूजन कर कोई भी व्यक्ति सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति पा सकता है।