महज 23 की उम्र में ही इस महिला ने NGO खोलकर संवार दी सैकड़ो बच्चों की जिंदगी…

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कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद हरएक लड़कियों के मन में एक अच्छा कैरीयर बनाने की तमन्ना होती है। जिससे वो अपनी आगे की जिंदगी को खुशहाल बना सके। लेकिन सोनल कपूर नाम की इस लड़की की सोच कुछ दूसरी थी उसे अपने कैरियर को सवारने की कोई परवाह नही है बल्कि असाह बच्चों को एक नया जीवन देकर लड़कियों का भविष्य संवारने की सोच रही थी।

23 वर्ष की उम्र में सोनल के मन गरीब बच्चों की देखभाल करने का मौका तब आया जब सड़क के किनारे की झोपड़पट्टी में काफी कम उम्र की लड़की को काम करते हुये देखा। जब उस लड़की के बारें में उन्होनें उसकी मां से जानना चाहा तो मां के द्वारा बताई बच्ची की साथ की दरिदगीं को सुन उनके होश उड़ गए। लड़की के घर वाले भी अब अपनी रोटी रोटी के लिये उस लड़की का शारीरिक शोषण कर रहे थे। एक छोटी सी बच्ची के इस असहनीय दर्द से वो इतनी परेशान और विचलित हो उठी कि अब

‘उसके मन में बार-बार यही सवाल आ रहा था कि आख़िर इतनी पढ़ाई और जॉब किस काम की। मैं भी तो वही काम कर रही हूं, जो दुनिया के बाकि लोग अपने जीवन के बारें में सोचकर करते आ रहे हैं’

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अब सोनल नें ठान लिया कि इस तरह के दलदल में जीवन यापन करने वाले हर बच्चों के भविष्य को संवारना है और उनकी इसी सोच से ‘प्रोत्साहन’ नामक एनजीओ का जन्म हुआ। सोनल के इस एनजीओ  में 400 से ज़्यादा बच्चों को ठिकाना मिला है जिसमें वो सोनल कला, नृत्य, संगीत, मेडिटेशन और रंगमंच के द्वारा बच्चों के चेहरे पर ख़ुशी लाने की कोशिश कर रही हैं।

‘प्रोत्साहन’ नामक एनजीओ की शुरूआत करने के बाद सोनल इसे अपना परिवार मानने लगी है। जिसके कारण वो अपनी जिंदगी को सवारने की कोई परवाह नही करती है। लोग उन्हें शादी करने की सलाह भी देते है। पर उनका फैसला यही होता है कि वो ऐसे व्यक्ति से शादी करेगें जो खुद के बच्चे पैदा करने की चाहत ना रखता हो।

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अकेले दम पर इतने बच्चे का बोझ उठाने वाली इस हिम्मत वाली महिला का मानना है कि उसके पास एक नहीं, बल्कि कई बच्चे हैं, जो हमेशा उन्हें एक मां होने का अहसास कराते हैं।

आज हम यदि ऐसे ही दूसरे संगठनों की बात करे तो, इसके अदंर ना जाने कितने प्रकार के घोटाले देखने को मिल रहे है जिससे लोगों का विश्वास अब संगठनों से उठता जा रहा है। पर ‘प्रोत्साहन’ में रहने वाले सभी बच्चों का जीवन प्रकाशमान हो रहा है। इस संगठन से जुड़े बच्चों में कोई  कैमरा सीख रहा है, कोई जूडो चैंपियन है। किसी को अपने पैर पर खड़े होने के लिये ऊबर का लाइसेंस मिलने वाला है इनकी बढ़ती आशाओं को देख सोनल जैसी मां को दुनिया की सबसे बड़ी जीत मिल रही है आज उसका हर बच्चा अपना पैरों पर खड़े होकर, उसका नाम रौशन कर रहा है।

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Pratibha Tripathihttp://wahgazab.com
कलम में जितनी शक्ति होती है वो किसी और में नही।और मै इसी शक्ति के बल से लोगों तक हर खबर पहुचाने का एक साधन हूं।

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