ममी के बारे में आपने बहुत कुछ पढ़ा या सुना ही होगा, यह प्रथा मिश्र से ताल्लुक रखती है, पर क्या आप जानते हैं कि आज भी ममी बनाई जा रही है और इनका प्रोसेस मिश्र की ममी से ज्यादा डरावना तथा खौफनाक है। यदि नहीं, तो आज हम आपको एक ऐसे स्थान के बारे में ही जानकारी दे रहें हैं, जहां आज भी ममी बनाई जा रही है। मिश्र की मामियों का इतिहास तो हजारों वर्ष पुराना है और उनको तैयार करने के लिए एक अलग ही प्रोसेस को फॉलो करना होता था, पर आज हम जिस स्थान के बारे में आपको जानकारी दे रहें हैं वहां ममी बनाने की प्रक्रिया बहुत ज्यादा खौफनाक है और इस पूरे प्रोसेस में शामिल लोगों को बेहद कड़े नियमों को पूरा करना होता है, तो आइए जानते हैं इस बारे में पूरी जानकारी।
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आपको सबसे पहले हम यह बता दें कि ममी को आज भी जिस जगह लोग बनाते हैं उस स्थान का नाम है “पापुआ न्यू गिनी”, यह एक छोटा सा देश है जहां के आदिवासी समाज के लोग आज भी ममी तैयार करते हैं। पापुआ न्यू गिनी के “अंगा जनजाति” के लोगों में आज भी मृत व्यक्ति की ममी बनाई जाती है और इसका प्रोसेस बहुत डरावना होता है। इसके प्रोसेस के बारे में बताने से पहले हम आपको यह बता दें कि जिस घर में व्यक्ति की मौत होती है उस घर के लोगों को ही ममी बनाने का यह प्रोसेस पूरा करना होता है। इस पूरे प्रोसेस में 3 महीने का समय लगता है और जो लोग ममी बनाते हैं वे इन 3 महीने तक घर से नहीं निकल सकते हैं और न ही 3 महीने तक पानी पी सकते हैं। इसके अलावा 3 महीने के इस प्रोसेस में ये लोग नहा-धो भी नहीं सकते हैं।
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इस प्रकार के कड़े नियम यहां के होते हैं। जिस व्यक्ति की ममी बनाई जाती है उसकी लाश को धरती से ऊपर लकड़ियों के सहारे बैठी मुद्रा में बांध दिया जाता है और नीचे से आग लगा दी जाती है और उसके शरीर में बारीक लकड़ियां डाल कर छेद कर दिए जाते हैं ताकि उसका सारा लिक्विड बहार निकल जाए। इस प्रकार से 3 महीने बाद व्यक्ति की लाश धुएं तथा आग की तपिश से सिकुड़ जाती है और आगे लाश को बांधने का कार्य शुरू होता है। इस प्रकार से यह ममी बनाई जाती है। एक ममी को बनाने का यह बेहद ही खतरनाक तरीका है।