कन्हैया को गुजरात-84 दंगों पर टिप्पणी करना पड़ा भारी

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गुजरात-84 दंगों पर की गई टिप्पणी को लेकर जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार कई सारे लोगों के निशाने पर आ गये हैं। उनके बयान को लेकर अब हर कोई विरोध जताने में जुट गया है। बीजेपी सांसद किरण खेर ने कन्हैया के बयान पर पलटवार करते हुए उन्हें 1984 और 2002 के दंगे में अंतर करने के लिए बोला है। किरण ने कन्हैया के इस बयान को जिसमें उन्होंने कहा था कि 84 का सिख विरोधी दंगा ‘भीड़ के नेतृत्व में नरसंहार’ था जबकि 2002 गुजरात दंगा एक ‘राज्य प्रायोजित हिंसा’ थी, उसे काफी शर्मनाक बताया है।

kironImage Source: http://media2.intoday.in/

किरण ने ट्वीट कर कहा है कि ‘क्या आपका जमीर बिल्कुल मर गया है कन्हैया? कई कांग्रेसी नेता 1984 के दंगों के लिए कटघरे में हैं, कन्हैया जानबूझकर अनभिज्ञ हैं।’

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वहीं दूसरी ओर आप नेता कपिल मिश्रा ने भी इस मामले को लेकर ट्वीट किया है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है कि ‘1984 हो या 2002, कोई फर्क नहीं है। दंगे नहीं कत्लेआम हुआ था, सक्रिय रूप से हुए नरसंहार को सरकार का साथ मिला। दोनों में न्याय नहीं मिला।”

वहीं इस मामले को लेकर जेएनयू छात्रसंघ की पूर्व अध्यक्ष और भाकपा पोलित ब्यूरो की सदस्य कविता कृष्णन ने भी इस बार कन्हैया का साथ नहीं दिया है। उन्होंने इस मामले पर ट्वीट कर कहा है कि ‘माफ करना, कन्हैया तुम यहां पूरी तरह से गलत हो। 1984 सिख विरोधी दंगे भी राज्य मशीनरी द्वारा प्रायोजित थे।’ इस दौरान कविता कृष्णन ने गुजरात के 1984 सिख विरोधी दंगों से जुड़ी पीपुल्स यूनियन फार डेमोक्रेटिक राइट्स की एक रिपोर्ट भी साझा की है।

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कविता कृष्णन ने रिपोर्ट के जरिए कहा है कि ‘मैं उम्मीद करती हूं कि कन्हैया और अन्य सभी इसे पढ़ें कि रिपोर्ट ‘हू आर द गिल्टी’ जो कि सतर्क योजनाओं का दस्तावेजीकरण करती है।’ इसके साथ ही जेएनयू के पूर्व छात्र और स्वराज अभियान के नेता योगेन्द्र यादव ने भी ट्वीट किया कि वह एक बार फिर कन्हैया कुमार से असहमत हैं।

इस मामले को बढ़ता देख कन्हैया कुमार ने अपने इस बयान पर सफाई देनी शुरू कर दी है। उनका कहना है कि एक बार फिर उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है।

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