जमीन से अचानक निकल आया पंचमुखी शिवलिंग, हैरत में पड़े लोग

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कभी कभी जमीन से अचानक कुछ ऐसी चीजें निकल आती हैं जो सभी को हैरान कर देती हैं। आपने भी ऐसी कई घटनाएं सुनी होंगी। जिनमें कोई पुरानी वस्तु या प्रतिमा जमीन से निकल आई हो। अपने देश में कई ऐसे मंदिर हैं जो जमीन से अचानक निकल आई प्रतिमाओं के लिए निर्मित किए गए हैं। आज भी लोग बड़ी संख्या में इन मंदिरों में जाते हैं। हाल ही में अपने देश बेहार के भगवानपुर क्षेत्र में एक अनोखी घटना घटी है। असल में हुआ यह था कि एक इंसान अपने खेत में मिट्टी को खोद कर बराबर कर रहा था। इस कार्य को करते हुए उसका कुदाल जमीन में किसी वस्तु से टकरा गया। किसान ने जब मिट्टी हटा कर देखा तो जमीन से एक अनोखी चीज निकल आई। इस वस्तु को अन्य कई लोगों ने देखा तथा अपने अपने विचार दिए। आइये अब हम आपको विस्तार से इस घटना के बारे में बताते हैं।

जमीन से निकला पंचमुखी शिवलिंग –

जमीन से निकला पंचमुखी शिवलिंगImage source:

यह घटना बिहार प्रदेश के भगवानपुर क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ओरगांव की है। इस गांव का निवासी कमलेश तिवारी के खेत में कुदाल की सहायता से मिट्टी को बराबर करने का कार्य चल रहा था कि तभी अचानक उसका कुदान जमीन में किसी वस्तु से टकरा गया। कमलेश ने उस स्थान की मिट्टी को हटा कर देखा तो वहां से एक प्रतिमा का सिर निकला। यह खबर देखते ही देखते सारे गांव भर में फैल गई। बहुत से लोगों की भीड़ कमलेश के खेत पर प्रतिमा का सिर देखने के लिए लग गई।

इस पुरानी प्रतिमा के सिर को देखने के बाद लोगों ने अलग अलग अनुमान लगाने शुरू कर दिए। कुछ लोग उसको शिवलिंग का ऊपरी हिस्सा बता रहें थे तो कुछ भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा का हिस्सा। जानकार लोगों ने इस प्रतिमा को पंचमुखी शिवलिंग का ऊपरी हिस्सा बताया। यह प्रतिमा लाल रंग के पत्थर पर उकेरी गई है। लोगों का कहना है कि इसका निर्माण पहली या दूसरी शताब्दी में हुआ होगा।

माना जा रहा है कि शिवलिंग का यह अगला हिस्सा गुप्त काल के समय का है क्योंकि उस समय ही लाल पत्थर पर प्रतिमा बनाने का कार्य सबसे ज्यादा प्रचलन में था। आपको बता दें कि पहले भी कई ऐसी प्रतिमाएं जमीन से निकलने की खबरें आती रहीं हैं। आपको बता दें कि बीते अप्रैल के माह में बिहार में एक स्थान पर शौचालय का गड्ढा खोदते समय एक काले रंग के पत्थर पर बनी प्रतिमा जमीन से निकली थी। बाद में लोगों ने इस प्रतिमा के लिए मंदिर स्थापित कराने का विचार किया था।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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