सामान्यतः भालू एक ऐसा जानवर है जिसको देखकर व्यक्ति के डर के कारण पसीने छूट जाते है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में जानकारी देने जा रहें हैं जहां पर जंगलों से भालू निकलकर देवी की आरती सुनने के लिए आते हैं। इतना ही नहीं मंदिर में प्रवेश करने के बाद यह भालू कभी भी किसी भक्त पर हमला नहीं करते बल्कि एक सामान्य व्यक्ति की तरह ही आरती को सुनते हैं और देवी की परिक्रमा भी करते हैं। चलिए जानते है इस चमत्कारी मंदिर के बारे में।
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छत्तीसगढ़ के जिले महासमुंद के बागबहरा नामक जगह से करीबन पांच किलोमीटरी अंदर चलने पर जंगलों के बीच में माता चंडी देवी का प्राचीन मंदिर स्थित है। इस मंदिर में कई चमत्कार देखने को मिलते हैं। उनमें से ही एक हैं यहां पर भालुओं का मां के दर्शन के लिए आना। सामान्यतः भालू एक जंगली जानवर है और यह इंसानों को देखते ही उन पर हमला भी कर देता हैं, लेकिन इस मंदिर में देवी के दर्शन के लिए आने वाले भालू एक पालतू जानवर के सामान ही मंदिर में आते हैं। घुंचापली नामक गांव की पहाड़ियों पर बना यह मंदिर पहले तंत्र साधना के लिए मशहूर था। यह मंदिर करीब डेढ़ सौ वर्ष पुराना है और यहां पर देवी की प्रतिमा स्वयं ही प्रकट हुई थी।
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बताया जाता है कि यह पर जैसे ही आरती शुरू होती है जंगल से भालू का एक परिवार निकलकर देवी की आरती सुनने के लिए मंदिर में पहुंच जाता हैं। इस भालू के परिवार चार सदस्य हैं। नर भालू मंदिर के गेट पर ही खड़ा हो जाता है जबकि मादा भालू अपने दो बच्चों के साथ मंदिर के अंदर आने पर आरती सुनती है और देवी की परिक्रमा भी यह साथ में लगाते हैं। इसके बाद यह मंदिर का प्रसाद ग्रहण कर दोबारा जंगलों की ओर चले जाते हैं। यहां के लोग इन्हें राम के काल के हुए जामवंत के परिवार का ही बताते हैं। आज तक इन भालुओं ने किसी भी भक्त पर हमला नहीं किया है।
