पूरी दुनिया में कई देश ऐसे हैं जो अपनी परंपराओं और मान्यताओं के कारण दुनिया में मनाए जाने वाले त्योहारों को कई दिनों के बाद मनाते हैं। दुनिया के अनुसार न चलकर वे अपने अनुसार ही त्योहार को मनाते हैं। इन्हीं मान्यताओं के चलते भी रूस की अलग पहचान है। आपको बता दें कि जहां पूरी दुनिया 25 दिसंबर को क्रिसमस मनाती है, वहीं रशिया के रूढ़िवादी चर्च जूलियन कैलेंडर को मानते हुए सात जनवरी को क्रिसमस का त्योहार मनाते हैं।
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दुनिया भर में क्रिसमस का त्योहार दिसंबर की 25 तारीख को मनाया जाता है, पर कुछ देश ऐसे भी हैं जो इस पर्व को अपनी मान्यताओं के अनुसार ही मनाते हैं। रूस के रूढ़िवादी क्रिस्चन क्रिसमस को अपने अनुसार जनवरी की सात तारीख को मनाते हैं। इस रूढ़िवादी समुदाय के लोग इस पर्व से चालीस दिन पहले से उपवास रखते हैं और छह जनवरी की रात में अपने उपवास को खोलते हैं। इसके बाद सात तारीख को अपने घरों में क्रिसमस धूमधाम से मनाते हैं।
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बताया जाता है कि रूस में क्रिसमस को बाद में मनाने की शुरूआत वर्ष 1917 में रशियन रिवोल्यूशन के बाद से हुई। उस दौरान सरकार की ओर से सभी प्रकार के धार्मिक आयोजन पर रोक लगा दी गई थी। इस रोक के बाद लोगों ने नए साल के अवसर पर ही अपने घरों को सजाना और आपस में उपहार देने की प्रथा की शुरूआत की थी। इस तरह के नए साल के सेलिब्रेशन को सेक्युलर न्यू ईयर सेलिबे्रशन का नाम दिया गया था। इस देश में इस पर्व को मनाने की मान्यता सोवियत यूनियन के समाप्त होने के बाद ही 1990 के दौर में शुरू की गई। इस मान्यता को लोगों के बीच फैलने में समय लग गया। इसी कारण आज भी रूस के कई इलाकों में अभी भी न्यू ईयर पर ही क्रिसमस मनाया जाता है।
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रूस में आज भी आधिकारिक तौर पर क्रिसमस और नए साल के लिए अवकाश 31 दिसंबर से लेकर 10 जनवरी तक दिया जाता है। इस अवकाश में पूरे देश में त्योहार का माहौल रहता है। इन दिनों जगह-जगह पर नए साल और क्रिसमस के लिए कई तरह के आयोजनों को किया जाता है।