जैसा कि सब जानते हैं कि इस धरती पर जिसने भी जन्म लिया है उसे एक ना एक दिन मृत्यु का समाना करना ही है। मतलब यह कि धरती पर जन्म लेने वाले व्यक्ति की कोई उम्र नहीं है। सभी जीवों की एक ना एक दिन मृत्यु निश्चित है।
इस संसार में सभी की अपनों से मोह माया इस कदर होती है कि कोई भी अपनों को कभी खोना नहीं चाहता। वर्तमान समय में कई एडवांस तकनीकि विकसित हो चुकी और मेडिकल साइंस में भी गंभीर से गंभीर बीमारियों का इलाज मौजूद है। इसके बावजूद लोगों की मौत को हमेशा के लिए कोई नहीं टाल सकता। ऐसे में अब तकनीकि उस ओर भी बढ़ रही है जब आपके अपने मौत के बाद भी आपके साथ महसूस होंगे। स्साइड यूनीवर्सिटी के एनिमेशन एंड पोस्ट प्रोडक्शन के रीडर सिमोन मेकोन की मानें तो अगले 50 साल के अंदर कंप्यूटर इतने विकसित हो जाएंगे कि लोगों के अतीत, प्राथमिकताओं और सोशल मीडिया में हिस्ट्री के आधार पर उनकी सिथेंटिक डिजिटल लाइफ को बना सकेंगे।
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सिमोन के मुताबिक व्यक्ति के मरने के बाद जो भी घटनाएं होंगी उसके बारे में वर्चुअल अवतार को जानकारी रहेगी। मरने के बाद बने व्यक्ति के वर्चुअल अवतारों को फोटो ग्रामिटी नाम के प्रॉसेस के जरिए क्रिएट किया जाएगा। फोटोग्रामिटी प्रॉसेस के जरिए किसी भी मृत व्यक्ति की पिछली तस्वीरों और वीडियो के सहारे उसके वर्चुअल 3डी शेप को रि कंस्ट्रक्ट किया जा सकेगा। इस तरह मृत व्यक्ति भी अपनों को ठीक वैसा ही दिखता रहेगा जैसा कि वो जीवित अवस्था में दिखता था।
दिखने के अलावा व्यक्ति के ठीक जीवित अवस्था में बोलने की मदद करेगा कंप्यूटर वॉयस सिंथेसिस। कंप्यूटर वॉयल सिंथेसिस के जरिए स्थानीय और क्षेत्रीय बातों के लहजे को समझकर मृत को वर्चुअल दुनिया में आवाज मिलती रहेगी। इस तरह परिजन हर दिन की घटनाएं और गतिविधियां मृतक व्यक्ति से शेयर कर सकेंगे और लोग अपनों से हमेशा जुड़ाव महसूस करते रहेंगे।